पलामू में अकीदत व सादगी से मनी बकरीद

लीड-------------- 5-7 लोगों ने अदा की मस्जिदों में नमाज कौम व मिल्लत की सलामती की मांगी दुआएं

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 06:13 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 06:13 PM (IST)
पलामू में अकीदत व सादगी से मनी बकरीद
पलामू में अकीदत व सादगी से मनी बकरीद

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5-7 लोगों ने अदा की मस्जिदों में नमाज, कौम व मिल्लत की सलामती की मांगी दुआएं, जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर : पलामू जिले में बुधवार को पूरी अकीदत व सादगी के साथ ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई गई। जिले के सभी ईदगाह व मस्जिदों में सामूहिक रूप से ईद-उल-अजहा की नमाज अदा नहीं की गई। शहर की जामा मस्जिद,चौक बाजार मस्जिद,नूरी मस्जिद,मदीना मस्जिद, मिल्लत मस्जिद, मस्जिदे हेरा, अहले हदीस मस्जिद , मोहम्मदी मस्जिद समेत हुसैनाबाद प्रखंड ,हरिहरगंज ,पांकी, हैदरनगर,विश्रामपुर, चैनपुर, नीलांबर पीतांबरपुर, सतबरवा , पाटन, छतरपुर, पांडू , मनातू, तरहसी, नावाबाजार, रामगढ़, उंटारी रोड, नौडीहा बाजार, मोहम्मदगंज,उंटारी रोड व पिपरा प्रखंड की सभी मस्जिदों व ईदगाहों में 5-7 लोगों ने ही ईद-उल-अजहा की दो रिकअत वाजिब नमाज अदा की। इसके बाद संबंधित मस्जिदों के खतीब व इमाम ने खुतबा पढ़ा। इसमें अल्लाह व उसके रसूल की तारीफ की गई। खतीबों ने बताया कि अल्लाह सबसे बड़ा व सर्वशक्तिमान है। इसके अलावे कोई इबादत के लायक नहीं है। अल्लाह व उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने की ताकीद की। इसके बाद कौम व मिल्लत की सलामती, आपसी एकता, सौहार्द, अमन-शांति, भाईचारगी, राष्ट्र की उन्नति, समाज की तरक्की व विश्वबंधुता की अल्लाह ताअला से दुआएं मांगी गई। दुआ खत्म होते ही बकरीद की मुकारबवादी पेश की। इधर हजारों मुसलमानों ने बुधवार की सुबह नहाकर, नए व साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इतर व सूर्मा लगाकर अपने-अपने घरों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की। यह सिलसिला सुबह 7 बजे से लेकर 9 बजे तक जारी रहा। बाक्स: मस्जिदों में 5-7 लोगों ने नमाज अदा की। इसके बाद संबंधित मस्जिदों के खतीब व इमाम ने कहा कि ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार अल्लाह की राह में त्याग करने का पैगाम देता है। अल्लाह की रजा के लिए हर चीज की कुर्बानी देने के लिए मुसलमानों को तैयार रहना चाहिए। इधर बकरीद की नमाज के बाद लोगों ने अपनी आर्थिक हैसियत के मुताबिक अपने-अपने घरों में बकरा की कुर्बानी दी। इसके मांस को तीन हिस्सों में बांटकर वितरण किया। इसमें एक हिस्सा गरीबों, अनाथ व मिस्किनो को दिया गया। एक हिस्सा को रिश्तेदारों,मित्रों व पड़ोसियों में बांटा गया। एक हिस्सा अपने खाने के लिए रखा गया। इस्लाम में आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को जानवरों की कुर्बानी देना होता है।

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