21 साल बाद मिला न्याय, 4 साल से अनुपालन नहीं

वलल फोटो 16 डीजीजे 02 कैप्शन सत्यनारायण सिंह तौहीद रब्बानी मेदिनीनगर (पलामू) कहते हैं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 07:04 PM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 07:04 PM (IST)
21 साल बाद मिला न्याय, 4 साल से अनुपालन नहीं
21 साल बाद मिला न्याय, 4 साल से अनुपालन नहीं

फोटो: 16 डीजीजे 02 कैप्शन: सत्यनारायण सिंह तौहीद रब्बानी, मेदिनीनगर (पलामू): कहते हैं अफसरशाही के पैंतरे बड़े अजब-गजब के होते हैं। अफसरों की मर्जी के बिना इनके मकड़जाल से निकल पाना बड़ी मुश्किल होता है। फिर चाहे वह न्यायालय का आदेश हो अथवा उच्चाधिकारियों का निर्देश। कार्यों का निष्पादन अफसरों की इच्छा अनुसार ही होता है। खुश हुए तो तत्काल अनुपालन, नहीं तो पीड़ित के चप्पल चाहे कितने घिस जाए व उम्र कितनी बीज जाए उन्हें कोई लेना देना नहीं होता। पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर शहर के सूदना निवासी (मूल निवासी बिहार के औरंगाबाद जिला के नबी नगर थाना अंतर्गत धोबीडीहा गांव) 81 वर्षीय वनक्षेत्र पदाधिकारी रह चुके सत्यनारायण सिंह के साथ में कुछ ऐसा ही हुआ है। बर्खास्तगी के 21 वर्षो की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बर्खास्त मुक्त किए गए। बावजूद चार साल से आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है। इस कारण वे अपना बकाया पावना भुगतान की बाट जोह रहे हैं। उम्र भी इतनी की अब भाग दौड़ भी नहीं कर सकते हैं। सरकारी सेवा कार्यकाल के दो साल का वेतन समेत पेंशन,ग्रेच्युटी ,बीमा से लेकर कई प्रकार का पावना लंबित है। ऐसे में बुढ़ापे में गुजारा करना मुश्किल है। व्यवस्था से आहत सत्यनारायण सि कहते हैं कि वाह रे सिस्टम, आदेश को भी फाइलों में लटका कर रखा गया है। ऐसे में उन्हें न्याय कब मिलेगा। वे तो जिदगी व मौत के बीज जूझ रहे हैं। शायद विभागीय पदाधिकारी यहीं मंशा है कि वे बिना इलाज के इस दुनिया से चल बसें। भुगतान की सब प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद निर्देश की कापी जमशेदपुर के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में धुल फांक रही है। बाक्स: क्या था मामला: सत्यनारायण सिंह गुमला वन विभाग के राजकीय व्यापार प्रमंडल में पदस्थापित थे। उनके खिलाफ गुमला निगरानी थाना कांड संख्या 225/ 1994 तिथि 2 दिसंबर 1994 को गबन का मामला दर्ज किया गया था। इस केस में तीन वन क्षेत्र पदाधिकारी, 10 लिपिक समेत 12 लोग आरोपित बनाए गए थे। इस समय सत्यनारायण लातेहार जिला के बरवाडीह अंतर्गत छिपादोहर में वन क्षेत्र पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित थे। इसके बाद जुलाई 1995 में उन्हें निलंबित कर दिया गया। इस अवधि में उनका मुख्यालय क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक कार्यालय जमशेदपुर बनाया गया। इसके बाद 12 दिसंबर 1996 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने उन्हें उक्त पद से बर्खास्त कर दिया। उस समय ये सेवानिवृति से दो साल की दूरी पर थे। अथार्त 1998 में सेवानिवृत होने वाले थे। बाक्स: न्याय तो मिला पर अब तक अनुपालन नहीं बर्खास्तगी के बाद सत्यनारायण सिंह रांची स्थित निगरानी विभाग के न्यायाल गए। काफी लंबी प्रक्रिया के बाद 31 दिसंबर 2017 को कोर्ट ने इन्हें दोष मुक्त करार देते हुए बरीं कर दिया। इसके बाद इन्होंने अपने दो साल के शेष सेवाकाल का वेतन, 1998 से अब तक पेंशन,ग्रेच्युटी ,बीमा आदि राशि भुगतान की विभाग से मांग की। मामला संयुक्त बिहार का था। इसलिए झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने 21 फरवरी 2019 को इनके मांग को वन विभाग बिहार सरकार पटना को भेज दिया। इसके बाद पर्यावरण ,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार के तत्कालीन संयुक्त सचिव सबोध कुमार चौधरी ने 12 मार्च 2019 को पटना बिहार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को लिखा कि झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पत्र के आलोक में नियमानुकुल कार्रवाई की जाए। वहां से सत्यनारायण सिंह के बकाया पावना भुगतान संबंधित पत्र जमशेदपुर स्थित क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में पड़ा है। अब तक भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। इधर सत्यनारायण 81 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। बावजूद खाने व दवा के मोहताज है। इनका कोई औलाद नहीं है।

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