नावाबाजार तालाब सूखकर मैदान में तब्दील
बाटम सहेज लोग बूंद तालाब का अस्तित्व संकट में गहराया पेयजल संकट तालाब को बचाने की जरूरत
बाटम
सहेज लोग बूंद
तालाब का अस्तित्व संकट में गहराया पेयजल संकट, तालाब को बचाने की जरूरत फोटो: 09 डीजीजे 09 कैप्शन: नावा बाजार प्रखंड मुख्यालय स्थित घोड़करण तालाब सुख कर मैदान में तब्दील हो गई बबलू प्रसाद गुप्ता, नावाबाजार (पलामू) : नावाबाजार प्रखंड मुख्यालय के घोड़करण तालाब सूख गया है। बढ़ती आबादी और घटते भूगर्भ जलस्त्रोत के कारण समय से पहले ही सूख कर यह तालाब मैदान में तब्दील हो गया है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। आसपास के इलाकों में पानी संकट भी बढ़ गया है।
दो दशक पहले तक तालाब नहीं सूखता था। क्षेत्र की बढ़ती आबादी व प्रदूषण के कारण तालाब के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। क्षेत्रफल का विस्तार होने के साथ ही तालाबों में भी पानी सूखने लगा। पहले तालाब के आसपास कृषि का कार्य होता है। खेतों में फसल लहलहाती थी। अब तो गर्मी शुरू होते ही तालाब का पानी सूख जाता है। इसे गांव घरों में लगे चापाकल का भी जल स्तर गिरता जा रह है। लोगों का कहना है कि बढ़ती आबादी व घटते भूगर्भ जलस्त्रोत ही तालाब सूखने का मुख्य कारण है। इसे बचाने के लिए प्रशासनिक व सामाजिक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। पानी की अनिवार्यता व मौजूदा आपात स्थिति से निपटने के लिए तालाबों का जीर्णोद्धार अनिवार्यता बन गया है। बाक्स: फोटो 09 डीजीजे 10 कैप्शन: अजय कुमार बढ़ते प्रदूषण व आबादी के कारण जलवायु परिवर्तन से घटते भूगर्भ जल स्त्रोत ही तालाब सूखने का मुख्य कारण बन रहा है। आज से दो दशक पहले किसान इस तालाब पर निर्भर रहते थे। आज की स्थिति में लोग बरसात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। जरूरत है इसके संरक्षण की।
अजय कुमार, नावाबाजार। बाक्स: फोटो: 09 डीजीजे 12 केप्शन: राजदेव यादव धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सिचाई महत्वपूर्ण साधन तालाब हुआ करता था। वर्तमान परिवेश में तालाबों का अस्तित्व पर संकट का बादल छा गया है। सरकारी स्तर पर उपेक्षा व आम लोगों की उदासीनता के कारण तालाब के अस्तित्व पर संकट का बादल मंडराने लगा है। जरूरत है इसे बचाने की।
राजदेव यादव,नावाबाजार।