आम की बागवानी कर आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहे हैं श्रीकांत

बाटम दो लाइन की हेडिंग जागरण विशेष दो साल में तैयार हो गए पौधे देने लगे फल बिरसा हरित

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:00 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:00 PM (IST)
आम की बागवानी कर आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहे हैं  श्रीकांत
आम की बागवानी कर आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहे हैं श्रीकांत

बाटम

दो लाइन की हेडिंग

जागरण विशेष

दो साल में तैयार हो गए पौधे, देने लगे फल, बिरसा हरित योजना का लिया लाभ

फोटो:07 डीजीजे 09 व 10

कैप्शन : फल दिखाते पदाधिकारी व

राजीव रंजन,

नीलांबर-पीतांबरपुर (पलामू): मेहनत व लगन के बल पर बागवानी से अच्छी आमदनी की जा सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पलामू जिले के नीलांबर पीतांबरपुर प्रखंड के ओरियाकला गांव के किसान श्रीकांत कुशवाहा ने। बिरसा हरित ग्राम योजना का लाभ उठाया। आम बागवानी के क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभरे हैं। एक एकड़ भूमि पर उन्होंने आम की बागवानी वर्ष 2017-2018 में शुरू की थी। अब बागवानी में 130 आम के पौधे तैयार हो गए हैं और फल भी देने लगे हैं। शुरुआती दौर में ही एक आम लगभग 200 ग्राम का हो चुका है। अभी गुठली आना ाकी है। एक पौधे में लगभग 15 से 20 किलो फला है। यदि कच्चा आम भी बेचा गया तो लगभग 55 से 60 हजार रुपए की आमदनी होगी। आम के पकने के बाद आमदनी और भी बढ़ सकती है। यहां आम्रपाली व मल्लिका किस्म के आम हैं। बीपीआरओ विनय कुमार शर्मा ने मनरेगा के तहत बागवानी कराई थी। बौने किस्म के इन पौधों में 2020 में ही मंजर आना प्रारंभ हो गया था। छोटे और मजबूत पौधे नहीं होने के कारण इसके मंजर को झड़ गए थे। किसान श्रीकांत ने बताया कि फल को तैयार होने के लिए छोड़ दिया गया।

आम बागवानी की ओर बढ़ा किसानों का रूझान श्रीकांत कुशवाहा की आम बागवानी देखर कर दूसरे किसान भी बागवानी को लेकर प्रेरित हुए हैं। यही कारण है कि गांव के अन्य लोग पारंपरिक खेती जैसे गेहूं, चना, प्याज आदि को त्याग कर आम बागवानी के लिए प्रखंड में प्रस्ताव दिया है। खुद श्रीकांत कुशवाहा ने अपने घर के अन्य सदस्यों के साथ 5 एकड़ जमीन पर बागवानी लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती से पूंजी भी नहीं लौटती थी। अब आम बागवानी से अच्छी आमदनी का उम्मीद जगी है। बॉक्स: जल संचयन और पटवन का है अनोखा प्रयोग .... बागवानी परिसर में जल संचयन का का भी प्रबंध है। जगह-जगह 10 जलकुंड बनाए गए हैं। बाहर 68 टीसीबी गड्ढ़ा खोदा गया है। इसमें जब तक बारिश का पानी रहेगा बागवानी पानी मिलता रहेगा। अब जल कुंड में पंपसेट लगाकर सप्ताह में एक बार पानी भरकर बागवानी में पटवन किया जाएगा। बाक्स: बागवानी तकनीक का विशेष ख्याल किसान श्रीकांत कुशवाहा के लगाए गए आम बागवानी में तकनीक का भी विशेष ख्याल रखा गया है। इसमें बीपीआरओ विनय कुमार शर्मा, बीपीओ मोतीलाल शर्मा एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी नीरज कुमार का समय-समय पर मार्गदर्शन व सहयोग मिलता रहा है। अभी हाल ही में आम का फल फटने लगा था। इसके बाद किसान वैसे फल को लाकर बीपीआरओ को दिखाया। उन्होंने उस आम को कृषि विज्ञान केंद्र चियांकी के वैज्ञानिक संजय कुमार को दिखाकर उचित सलाह व मार्गदर्शन लेने की बात कही। विनय ने बताया कि किसान आम का पौधा लगाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। बागवानी किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने का जरिया है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

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