आस्था का केंद्र है विश्रामपुर कापंचमुखी मंदिर

मंदिर - पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का लगा रहता है आना जाना राजपरिवार ने बनाया है मंदिर यहां सै

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 06:40 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 06:40 PM (IST)
आस्था का केंद्र है विश्रामपुर कापंचमुखी मंदिर
आस्था का केंद्र है विश्रामपुर कापंचमुखी मंदिर

मंदिर -

पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का लगा रहता है आना जाना, राजपरिवार ने बनाया है मंदिर यहां सैकड़ों वैवाहिक कार्यक्रम होते हैं संपन्न, नवरात्र में होती है विशेष पूजा ़फोटो: 13 डीजीजे 01 व 02 कैप्सन : विश्रामपुर की ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर व पुजारी अच्युतानंद पांडेय

रघुवीर पांडेय, विश्रामपुर (पलामू) : विश्रामपुर का ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। यहां सालों भर दूर-दूर से लोगों का आना जाना लगा रहता है। मंदिर में प्रवेश के साथ ही श्रद्धा भावना झलकने लगती है। नवरात्र के अवसर पर यहां विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर का निर्माण विश्रामपुर के राज परिवार ने कराया था। वयोवृद्ध लोगों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कराने में विश्रामपुर राजपरिवार को कई गांवों को बेचना पड़ा था। मंदिर की खूबसूरती व नक्काशी बेमिसाल है। लोगों का कहना है कि मंदिर निर्माण में आगरा, लखनऊ, वाराणसी, राजस्थान आदि क्षेत्र के प्रसिद्ध एवं निपुण कारीगरों ने निर्माण किया था। पूरा करने में राज परिवार की तीन पीढि़यों ने अपनी भूमिका निभाई थी। इस परिवार के सदस्य राजा रंजीत सिंह राय, रानी रागनी सिंह व युवराज शशांक सिंह मंदिर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हर संभव सहयोग करते हैं। इस मंदिर परिसर में नवरात्र में पारंपरिक तरीके से कुलदेवी की पूजा-अर्चना शुरू की गई। राज परिवार के युवराज रंजीत सिंह व रागिनी राय के साथ 5 कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ नवरात्र पूजन कार्यक्रम शुरुआत की। पारंपरिक मान्यता के अनुसार राज परिवार की ओर से पारिवारिक समृद्धि के साथ-साथ क्षेत्र में अमन चैन को लेकर कुलदेवी की पूजा अर्चना की जाती रही है। यह सिलसिला आज भी कायम है। पंचमुखी मंदिर के निकट अवस्थित गढ़ परिसर में गढ़ देवी मंदिर पौराणिक मान्यता प्राप्त शक्तिपीठ है। यहां कुल देवी की चांदी से बनी प्रतिमा स्थापित है। हर वर्ष आश्विन व चैत्र नवरात्र में पांच कलश स्थापित कर पूजा अर्चना होती है। मंदिर में हर साल सैकड़ों वैवाहिक कार्यक्रम होता है।

बॉक्स : नवरात्र को लेकर मंदिर परिसर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है। यहां सालों भर लोग पूजा-अर्चना करने आते हैं। यहां आने मात्र से लोगों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

अच्युतानंद पांडेय, पुजारी।

chat bot
आपका साथी