किसान करें समेकित कृषि प्रणाली की खेती : डा. ए वदूद

संवाद सूत्र मेदिनीनगर (पलामू) वैज्ञानिक किसानों तक इंटीग्रेटेड फार्मिंग की तकनीक को पहुं

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 08:02 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:09 AM (IST)
किसान करें समेकित कृषि प्रणाली की खेती : डा. ए वदूद
किसान करें समेकित कृषि प्रणाली की खेती : डा. ए वदूद

संवाद सूत्र, मेदिनीनगर (पलामू) : वैज्ञानिक किसानों तक इंटीग्रेटेड फार्मिंग की तकनीक को पहुंचाएं। किसानों को अनुसंधान केंद्र में पेड़ों में लगे मौसम्मी व किन्नू के फल को दिखाएं। उन्हें बताएं कि इन फलदार पौधों को लगाकर प्रत्येक वर्ष ए. मोटी रकम की कमाई की जा सकती है। उक्त बातें रांची के बिरसा कृषि विश्व विद्यालय के अनुसंधान निदेशक डा. ए.वदूद ने कही। वे बुधवार को चियांकी स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार प्रामर्शदातृ समिति की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वैज्ञानिकों से विश्व विद्यालय के कुलपति व कृषि व पशुपालन विभाग के सचिव का चियाकी अनुसंधान केंद्र का क्षेत्र भ्रमण कराने पर जोर दिया। आवश्यकतानुसार अनुसंधान करने पर जोर दिया। कहा कि किसान समेकित कृषि प्रणाली के तहत खेती करेंगे तो आर्थिक रूप से सबल होंगे। इसके पूर्व कार्यक्रम मुख्य वैज्ञानिक ड्राईलैंड सह क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डीएन सिंह रांची से आए अनुसंधान निदेशक डा. ए वदूद व अन्य वैज्ञानिकों की टीम का स्वागत किया। साथ ही अनुसंधान केंद्र में रबी फसल पर चल रहे अनुसंधान की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने किया। तकनीकी सत्र में स्थानीय वैज्ञानिक अखिलेश साह ने गेंहू पर आधारित अनुसंधान के बारे में बताया। लातेहार कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक महेश जिरई अनुसंधान केंद्र में हो रहे अनुसंधान से किसानों को लाभावित करने पर जोर दिया। कीट विज्ञान के अध्यक्ष डा. पीके सिंह ने अनुसंधान केंद्र के विकसित प्रभेद के बारे में विस्तार से बताया। प्रधान वैज्ञानिक डा. वीके अग्रवाल ने नाहेप परियोजना के तहत मदद करने की बात कही।

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