जल संचय का बड़ा साधन पत्थर खदान
जागरण संवाददाता पाकुड़ जिला खनन कार्यालय के ठीक सामने बंद पड़ी पत्थर खदान है। यह खदान
जागरण संवाददाता, पाकुड़ : जिला खनन कार्यालय के ठीक सामने बंद पड़ी पत्थर खदान है। यह खदान निजी है, लेकिन वर्षा जल संचय का बहुत बड़ा साधन है। बरसात के मौसम में यह खदान वर्षा जल से लबालब भरा रहता है। आसपास के लोग खदान के पानी का विभिन्न कार्यो में उपयोग करते हैं। यह काफी पुराना खदान है। रख-रखाव के अभाव में यह खदान का अस्तित्व मिटने लगा है। आसपास के लोग खदान में कूड़ा-कचरा फेंक रहे हैं। इससे खदान का कुछ हिस्सा भर गया है।
खदान के तीन हिस्से में आशियाना बन गए हैं। जिला खनन कार्यालय और पत्थर खदान के बीच से रास्ता गुजरा है। इस हिस्से में एक भी घर नहीं बना है, परंतु रास्त कटने के कगार पर है। वर्षा जल संचय की बात करें तो बारिश का पानी इसी खदान में आकर इकट्ठा होती है। हालांकि बरसात के मौसम के बाद खदान में काफी कम मात्रा में पानी जमा रहता है। इसका प्रमुख कारण खदान में गाद भर जाना है। गाद के कारण खदान की गहराई कम हो गई है। निजी खदान होने के बाद भी कुछ भू-माफियाओं की नजर इस खदान पर पड़ी है। चर्चा है कि खदान को समतल करने की तैयारी चल रही है। खदान को अगर समतल कर दिया गया तो वर्षा जल यूं ही बेकार चला जाएगा। आसपास के लोग बताते हैं कि खदान का आकार काफी बड़ा था। खदान के पटाल को भरकर समतल किए जाने के कारण दायरा सिमटता चला गया। निजी व सरकारी स्तर से पहल होने पर इस खदान को बचाया जा सकता है। खदान में वर्षा जल इकट्ठा होने से आसपास में पानी की किल्लत नहीं होगी। भू-जलस्तर में सुधार होगा। --
सभी जलस्रोत को बचाना जरूरी है। इससे भू-जलस्तर ठीक रहेगा। पानी की किल्लत नहीं होगी। सभी स्तर से प्रयास जरूरी है।
आलोक वरण केशरी, सीओ, पाकुड़