पहाड़िया बरबट्टी को दिलाएंगे राष्ट्रीय पहचान
संवाद सूत्र लिट्टीपाड़ा(पाकुड़) पहाड़ों पर उपजने वाली जैविक बरबट्टी को राष्ट्रीय स्तर पर
संवाद सूत्र, लिट्टीपाड़ा(पाकुड़) : पहाड़ों पर उपजने वाली जैविक बरबट्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी। इसके लिए इसकी भौगौलिक पहचान आवश्यक है। यह जानकारी उपायुक्त वरुण रंजन ने दी। वह लिट्टीपाड़ा में डाकिया योजना का बोरा निर्माण केंद्र गुतु गलांग का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने पीटीजी अनाज पैकेटिग जेएफसीआई गोदाम का निरीक्षण किया।
उपायुक्त ने डाकिया योजना के लिए आदिम जनजाति की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे बोरा सिलाई केंद्र का निरीक्षण किया। महिलाओं से पूछा प्रतिदिन कितना बोरा निर्माण करती हैं और कहां कहां सप्लाई की जाती है। बोरा निर्माण कर रही रूबी मालतो ने बताया डाकिया योजना का अनाज पैकेजिग के लिए यहां से पूरे राज्य के 24 जिले में प्रति माह 70 हजार बोरा भेजा जाता है। बोरा निर्माण में 35 महिलाएं कार्य कर रही हैं। प्रति माह पांच हजार रुपये मानदेय मिलता है। महिलाओं ने बताया कि यहां चार लाख 80 हजार में कारोबार शुरू किया गया था। आज 20 माह में 90 लाख रुपये का टर्न ओवर है। उपायुक्त ने बीज स्टोर गोदाम का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बरबट्टी, इमली व बाजरा से महिलाओं की आय दुगुनी करने के लिए बड़े मार्केट मुंबई, चेन्नई व कोलकाता जैसे मेट्रो सिटी में सप्लाई करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि आटा, दाल व इमली का प्रोसोसिग मशीन लिट्टीपाड़ा के गुतु गलांग के महिला को उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि बाजार से आटा व इमली से केक व टाफी खूंटी की भांति निर्माण कर बाजार में बेचकर अपनी आय बढ़ा पाएगी।
उपायुक्त ने जेएफसीआइ गोदाम में डाकिया योजना का अनाज पैकेटिग कार्य का भी निरीक्षण किया। पैकेटिग कार्य देखकर उपायुक्त काफी प्रभावित हुए और 35 किग्रा के पैकेट के ऊपर योजना का लोगों लगाने का निर्देश डीपीएम प्रवीण मिश्रा को दिया। मोके पर उपविकास आयुक्त अनमोल कुमार सिंह, डीपीओ डॉ चंद्र भूषण तिवारी, जनसंपर्क पदाधिकारी चंदन कुमार, बीडीओ संजय कुमार, एमओ सत्येंद्र कुमार समेत कई अधिकारी उपस्थित थे।