सात वर्षों में 24 गर्भवती महिलाएं एचआइवी पाजिटिव
गणेश पांडेय पाकुड़ एचआइवी संक्रमण एक खतरनाक बीमारी है। जिसका खात्मा पूरी तरह से
गणेश पांडेय, पाकुड़ : एचआइवी संक्रमण एक खतरनाक बीमारी है। जिसका खात्मा पूरी तरह से असंभव है। महिलाएं भी इसका शिकार हो रही है। गर्भवती महिलाओं के कोख में पल रहे बच्चे भी एचआइवी के शिकार हो सकते हैं। पाकुड़ में वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2021 के जुलाई माह तक 24 गर्भवती महिलाओं में एचआइवी का संक्रमण पाया गया है। वर्ष 2015 के पूर्व भी कई गर्भवती महिलाएं एचआइवी के शिकार हुई है, जिसका सटीक आंकड़ा विभाग के पास मौजूद नहीं है। विभाग संक्रमित महिलाओं का निश्शुल्क इलाज कर रहा है। महिलाओं को सदर अस्पताल स्थित आसीटीसी प्रयोगशाला सह परामर्श केंद्र में उचित सलाह भी दिया जा चुका है। महिलाएं उस पर अमल कर रही है। राहत की बात यह है कि एचआइवी पाजिटिव सभी महिलाएं जीवित हैं और अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन-यापन कर रही है। आसीटीसी प्रयोगशाला सह परामर्श केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार अधिकतर संक्रमित महिलाएं पाकुड़ सदर, महेशपुर व हिरणपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाके की है। महिलाओं में एचआइवी होने का प्रमुख कारण उसका पति है। पति दूसरे राज्य मजदूरी को जाते हैं। बाहर
संक्रमित होकर घर वापस लौटते हैं। पत्नी से संपर्क के बाद उसे भी संक्रमित कर देते हैं। वर्ष 2015 से अब तक 27 हजार 290 गर्भवती महिलाओं की एचआइवी जांच हो चुकी है। ------------------- एक बच्चा भी है संक्रमित वर्ष 2018 में पाकुड़ प्रखंड की एक गर्भवती महिला एचआइवी पाजिटिव पाई गई थी। उसी वर्ष जन्म के पश्चात नवजात का भी एचआइवी जांच हुआ तो वह पाजिटिव निकला। मां और बच्चा दोनों जीवित है। बच्चे का उम्र इस समय तीन वर्ष है। बच्चे को यह एहसास नहीं होने दिया जा रहा है कि उन्हें भी एचआइवी ने जकड़ रखा है। बच्चे की देखभाल विभाग स्वयं कर रहा है। संक्रमित बच्चे को भी विभाग प्रति माह एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दे रहा है। विभाग के अनुसार बच्चों में एचआइवी के लक्षण पाए जाने के बाद उसे इलाज व दवा के लिए एटीआर सेंटर दुमका, साहिबगंज या मालदा भेज दिया जाता है। ------------------------------ संक्रमितों को मिल रही है प्रोत्साहन राशि एचआइवी पाजिटिव सभी गर्भवती महिलाओं को विभाग प्रोत्साहन राशि दे रहा है। समाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत एक संक्रमित महिला को प्रति माह एक हजार रुपये मिलता है। इसके अलावा उन्हें निश्शुल्क दवा उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी प्रकार की जांच भी निश्शुल्क हो रहा है। लाकडाउन के दौरान भी महिलाओं को सदर अस्पताल स्थित आइसीटीसी प्रयोगशाला से दवा दी जा रही थी। लैब टेक्नेशियन शिवनारायण यादव के प्रयास से लाकडाउन में संक्रमित महिलाओं को दवा मिल रही थी। --------------- पाजिटिव माता-पिता की बेटियों को दो हजार आइसीटीसी प्रयोगशाला सह परामर्श केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार अगर मां-पिता दोनों एचआइवी पीड़ित हैं और उन्हें सिर्फ दो बेटियां हैं तो बेटियों को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। विभाग के अनुसार बाल विकास परियोजना की तरफ से बेटियों को दो वर्ष तक पढ़ाई के क्षेत्र में खर्च करने के लिए दो हजार रुपये प्रतिमाह दी जाएगी। ------------------------
किस वर्ष कितनी गर्भवती हुई संक्रमित वर्ष संख्या 2015 04
2016 04 2017 03
2018 05 2019 03
2020 04 2021 01 ------------------ संक्रमित गर्भवती महिलाओं को खान-पान व रहन-सहन पर ध्यान देने को कहा गया है। बीच-बीच में उससे संपर्क भी किया जाता है। अस्पताल में जांच के लिए सैंपल लिया जाता है। सबसे अधिक प्रभावित प्रखंड पाकुड़ और महेशपुर है। शिवनारायण यादव, परामर्शी सह लैब टेक्नेशियन
सदर अस्पताल, पाकुड़