नदियों का जलस्तर बढ़ा, धान को नुकसान
- जिलेभर में चार दिनों से लगातार हो रही बारिश से जन-जीवन प्रभावित - जिले में 19 अक्टूबर को
- जिलेभर में चार दिनों से लगातार हो रही बारिश से जन-जीवन प्रभावित
- जिले में 19 अक्टूबर को सबसे अधिक 40 एमएम हुई बारिश जागरण टीम, पाकुड़ : जिले में लगातार पांच दिनों से हो रही बारिश से जन-जीवन प्रभावित हो गया है। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंचने वाला है। जिले से होकर गुजरने वाली बांसलोई, तोड़ाई और मसना नदी का जलस्तर बढ़ गया है। जलस्तर बढ़ने से मुफस्सिल इलाके में रहने वाले लोगों में चिता देखी जा रही है। संभावित बाढ़ को लेकर ग्रामीण दहशत में है। मुफस्सिल इलाके में निवास करने वाले लोग इस वर्ष दो-दो बार बाढ़ जैसी विभीषिका झेल चुके हैं। इस बार अगर बाढ़ आई तो किसानों के साथ-साथ आम लोगों की हालत खराब हो जाएगी। नदियों में पानी भरने के कारण खेतों में भी अधिक जल जमाव हो गया है। इससे धान की फसल पर बुरा असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। लगातार हो रही बारिश ने किसानों को भी चिंता में डाल दिया है। अब तक जिले में 40 फीसद तक फसल को इस बारिश से नुकसान हुआ है।
वर्षापात की बात करें तो 17 से 20 अक्टूबर तक जिलेभर में 82.9 एमएम बारिश दर्ज की गई है। सबसे अधिक बारिश 19 अक्टूबर को हुई है। इस दिन जिलेभर में 40 एमएम बारिश हुई है। सदर प्रखंड के किसान कमरूज्जमान ने बताया कि बारिश की यही स्थिति रही तो बाढ़ आना तय है। वैसे भी तेज हवा के साथ बारिश के कारण धान की फसल खेत में गिर चुकी है। एकाध दिनों में धान को खड़ा नहीं किया गया तो बर्बाद हो जाएगा। भोला साहा ने बताया कि जिस उम्मीद से धान की खेती की गई थी उसमें पानी फिर गया। बारिश के पूर्व तक फसल देखकर मन गदगद हो गया था। बारिश ने उपज को बर्बाद कर दिया। खेतों में पानी जमा होने से फसल बर्बाद होने की संभावना बढ़ गई है।
महेशपुर : प्रखंड क्षेत्र में बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गांव के ग्रामीण सड़कों व हाट बाजार में जल-जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सड़कों पर कीचड़ के बीच लोगों को आवाजाही में परेशानी हो रही है। लगातार हो रही बारिश से किसानों को काफी नुकसान होने की संभावना है। बांसलोई नदी का जलस्तर बढ़ने से कुलबुना, लखीपुर, अमृतपुर समेत कई दर्जनों गांव में कटाव का खतरा बढ़ गया है।
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जिलेभर का औसत वर्षापात
(सभी आंकड़ें एमएम में)
दिनांक वर्षापात
17 अक्टूबर 13.3
18 अक्टूबर 12.4
19 अक्टूबर 40.0
20 अक्टूबर 17.2
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बारिश से धान को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग क्षतिपूर्ति का आकलन करने में जुट गई है। किसानों को थोड़ा सजग होने की जरूरत है। खेत में गिरे धान के पौधों को उठाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- मुनेंद्र दास, जिला कृषि पदाधिकारी
पाकुड़
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