47 वर्षों से हो रही है मांडू में वासंतिक दुर्गापूजा व रामनवमी

संवाद सूत्र मांडू (रामगढ़) मांडू व इसके आसपास के क्षेत्रों में महा रामनवमी व चैतीदुर्गा पूजा की तैयारी पूरी कर ली गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 08:57 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 08:57 PM (IST)
47 वर्षों से हो रही है मांडू में वासंतिक दुर्गापूजा व रामनवमी
47 वर्षों से हो रही है मांडू में वासंतिक दुर्गापूजा व रामनवमी

संवाद सूत्र ,मांडू (रामगढ़) : मांडू व इसके आसपास के क्षेत्रों में महा रामनवमी व चैतीदुर्गा पूजा की तैयारी पूरी कर ली गई है। क्षेत्र के मंदिरों व पूजा पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा को मूर्तिकार अंतिम रूप देने में रात दिन मेहनत में जुटे हुए हैं। साथ ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। रामनवमी को लेकर पूरे क्षेत्र में महावीरी झंडों से सजाया जा रहा है। सभी जगह पर महावीर झंडों से पाटा जा रहा है। मंदिरों व पूजा पंडालों को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। नवमी के दिन मांडूडीह स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, मांडूचट्टी स्थित हनुमान मंदिर, गरगाली, टकाहा, केके बसौदी, पुंडी, रामनगर, बीसमाइल, बोंगाहरा और हेसागढ़ा आदि क्षेत्रों में श्रद्धालुओं द्वारा महावीरी झंडो को कंधे में लेकर लाल लंगोटी लाल निशान, जय बजरंगी जय हनुमान, जय बजरंगबली, आदि गगनभेदी जयकारा लगाते हुए क्षेत्र का भ्रमण करते हैं। 1974 से मांडू में पूजा की शुरुआत की गई मांडूडीह व मांडूचट्टी में करीब 47 वर्षों से लगातार महारामनवमी पूजा पूरे

हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मांडूचट्टी में वर्ष 1974 में

यजमान स्वर्गीय रामेश्वर साहू व आचार्य किरू पांडेय द्वारा हनुमान जी की

प्रतिमा स्थापित कर विधिवत रूप से पूजा अर्चना की शुरुआत की थी। जबकि मांडुडीह स्थित पड़ाव दुर्गा मंदिर में वर्ष 1976 में स्व. नेमीचंद साहू द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर चैतीदुर्गा पूजा प्रारंभ की गई थी। बाद में उक्त दोनों मंदिरों में स्थानीय ग्रामीण के सहयोग से पूजा समिति का गठन कर पूजा का आयोजन लगातार होने लगा। मां कात्यायनी की हुई पूजा मांडू व इसके आसपास के क्षेत्रों में मां दुर्गे की छठे स्वरूप मां कात्यानी की

पूजा पूरे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई। पड़ाव दुर्गा मंदिर में

आचार्य निरंजन पांडे ने यजमान आशीष पांडेय को विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कराई द्य वहीं संध्या बेला मंदिर में मां की आरती का आयोजन किया गया। इसके बाद बेलबरण पूजा के लिए श्रद्धालु मां भगवती के डोली लेकर अति प्राचीन शिव

मंदिर परिसर पहुंचे। जहां आचार्य द्वारा बेलबरण की पूजा-अर्चना की गई।

पूजा को लेकर पूजा समिति द्वारा चौक-चौराहों पर ध्वनि विस्तारक यंत्र

लगाया गया है। इससे बजने वाले भक्ति गीतों से पूरा क्षेत्र राममय बना हुआ

है।

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