कुडू में टूटी हड्डी तो न होगा इलाज न होगी पट्टी
राहुल कुमार चौधरी कुडू (लोहरदगा) जिले के कुडू में यदि किसी की हड्डी टूट जाए तो रिम्स रेफर के बिना कोई उपाय नहीं।
राहुल कुमार चौधरी, कुडू (लोहरदगा) : जिले के कुडू में यदि किसी की हड्डी टूट जाए तो उसका इलाज यहां संभव नहीं है। लोहरदगा-रांची-लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्र कुडू में हड्डी टूटने पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि औसतन हर दिन इस क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। डाक्टरों की कमी से कुडू का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जूझ रहा है। जिले के कुडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ऐसे में किसी की हड्डी टूट गई तो उसे कुडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रांची रिम्स रेफर करना पड़ता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुडू में कैरो, चंदवा, चान्हो, कुडू के अधिसंख्य मरीज अपने इलाज के लिए पहुंचते हैं। वर्तमान में कार्यरत चार डाक्टर के भरोसे लोगों को स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाई जा रही है। स्वास्थ्य केंद्र में फिलहाल एक भी हड्डी के डाक्टर और ड्रेसर तक नहीं हैं। मार्च से लेकर अभी तक इस क्षेत्र में दुर्घटना के 16 मामले आ चुके हैं।
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कितने डॉक्टर है अस्पताल में
: कुडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिशु रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में डॉ. सोलामी होरो, स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. मरसा टोपनो, अंजुलन आइंद और जेनरल फिजिशियन के रूप में डा. मंजू गुप्ता कार्यरत हैं। अस्पताल में एक भी ड्रेसर नहीं है। ड्रेसिग का कार्य चतुर्थ वर्गीय कर्मी या नर्स करती हैं।
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कैसे इलाज होता है : कुडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दुर्घटना के आने वाले मरी•ाों को रिम्स या सदर अस्पताल भेजा जाता है। ड्रेसिग के नाम पर टूटे हुए अंगों को कार्टून से बांध कर भेजा जाता है। या फिर लोग निजी क्लिनिक या झोला छाप डॉक्टरों से इलाज कराने को विवश होते हैं।
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डाक्टरों की मांग को लेकर उन्होंने कई बार अपने उच्च अधिकारियों से बात की, पर अब तक इस ओर कोई पहल नहीं हुई है। डाक्टरों और ड्रेसर के नहीं रहने से दुर्घटना के बाद आने वाले मरी•ाों के इलाज में काफी दिक्कत होती है। सही से उनका इलाज नहीं होता है।
डा. सोलामी होरो, चिकित्सा पदाधिकारी,कुडू