कैरो के गांवों में भी पसरा है सन्नाटा, पर सर्दी, खांसी व बुखार की जांच से भी परहेज

राकेश कुमार सिन्हा लोहरदगा लोहरदगा जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैरो के गांव में कोरोना जांच से लोग परहेज करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 09:15 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 09:15 PM (IST)
कैरो के गांवों में भी पसरा है सन्नाटा, पर सर्दी, खांसी व बुखार की जांच से भी परहेज
कैरो के गांवों में भी पसरा है सन्नाटा, पर सर्दी, खांसी व बुखार की जांच से भी परहेज

राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा : लोहरदगा जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैरो प्रखंड की नरौली पंचायत का हर गांव सूना पड़ा हुआ है। पंचायत की आबादी 8,250 है। पंचायत में नरौली, पचागांई, ख्वास अंबवा, नगजुआ व चेरिमा गांव हैं। आदिवासी बहुल गांव में कोरोना संक्रमण से पहले चहल-पहल होना सामान्य बात थी। आज गांव में सन्नाटा है। गांव में पीसीसी सड़क देखकर अहसास होता है कि गांव में विकास तो हुआ है। गांव के पहले घर के बाहर बैठे बुजुर्ग के चेहरे पर मायूसी बता गई कि गांव में स्थिति सामान्य नहीं है। वृद्ध व्यक्ति नए व्यक्ति को देख कर थोड़ा सकपका गया। वृद्ध ने पूछा क्या काम है, किसे ढुंढ रहे हैं। वहां आने का कारण और अपना परिचय बताने के बाद वृद्ध समझ गया कि आने वाला व्यक्ति इसी जिले का है। उसने हिदी भाषा छोड़ कर नागपुरी में कहा कि हमीन तो भुईल गेले ही कि कब बिहान होवे ला आउर कब साइंझ। न तो केकरो से मिलेक है और न ही कोई घर से बाहरे निकले ला। वृद्ध की बातों से लगा कि गांव में कोरोना ने लोगों को घरों में कैद कर दिया है। कुछ और लोगों से बात से अहसास हुआ कि गांव में कई लोग बीमार हैं। बुखार, सर्दी, खांसी से कई लोग प्रभावित हैं, परंतु कोई जांच नहीं कराता है। लोगों की बात सुन कर आश्चर्य हुआ कि गांव में हाल के समय में एक व्यक्ति की कोरोना संक्रमण से हुई मौत के बाद अब और कोई जांच नहीं करा रहा है। सब काफी डरे हुए हैं। गांव के 400 कामगार पेट के लिए दूसरे प्रदेश में दिन-रात एड़ियां रगड़ रहे हैं। बाहर गए कामगार के लिए कोरोना काल आफत बनकर उभरा है। घर लौटे तो रोजगार की परेशानी और बाहर रहे तो संक्रमण का डर, परंतु परिवार के लिए बाहर रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।

जिले के कैरो प्रखंड अंतर्गत आदिवासी बहुल नरौली पंचायत की जनसंख्या 8250 है। पंचायत में कुल पांच गांव हैं। जिसमें कुल परिवारों की संख्या 1142 है। गांव में कोरोना संक्रमण से बचाव को ले हर कोई सतर्क नजर आ रहा है। गांव में विगत 15 दिनों पूर्व एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद हर व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। गांव की बात करें तो किराना दुकान दो बजे से पहले ही बंद हो जाते हैं। नरौली गांव में एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद से लोग काफी सावधानी बरत रहे हैं। गांव में मंगलवार व शनिवार को छोटा सा सब्जी का बाजार लगता है। लेकिन बाजार में भी लोग शारीरिक दूरी का पालन कर सब्जी की खरीद-बिक्री करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक सप्ताह पहले बुखार कुछ लोगों को था, पर किसी ने जांच नहीं कराई। ग्रामीण क्षेत्र में लोग डर से कोविड-19 की जांच भी नहीं कराते हैं। जब अत्यधिक तबीयत खराब हो जाता है तो लोग अस्पताल का सहारा ले रहे हैं। लोह घरों में ही अपने आप को ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। नरौली पंचायत में मनरेगा से कुल 42 योजनाएं चल रही है। कुल सक्रिय निबंधित मजदूरों की संख्या 1498 है। पंचायत में कुल पांच गांव हैं। नरौली, पाचागाई, ख्वास अंबवा, नगजुआ व चेरिमा है। गांव का खेल मैदान सूना पड़ा है। गांव के बच्चे भी खेलने के लिए घर से बाहर नहीं निकलते हैं। गांव के लोगों को पता भी नहीं चल पा रहा कि कैसे दिन गुजर रहा है।

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