पानी के बिना जीवन मुश्किल है : डीसी
जागरण संवाददाता लोहरदगा लोहरदगा शहरी क्षेत्र के नगर भवन में सोमवार को जन-संवाद कार्यक्र
जागरण संवाददाता, लोहरदगा : लोहरदगा शहरी क्षेत्र के नगर भवन में सोमवार को जन-संवाद कार्यक्रम जलभृत मानचित्रण एवं प्रबंधन विषय पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो, उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा, पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल कार्यपालक अभियंता सुशील टुडू व अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मौके पर उपायुक्त ने कहा कि आज से 50 वर्ष पहले भूगर्भ जल को बचाने की चर्चा कहीं नहीं होती थी। पानी खरीद कर पीना तो कोई सोच भी नहीं सकता था, लेकिन आज हम दस-बारह रुपये में पानी का बोतल भी खरीद कर पीते हैं। पानी के बिना जीवन मुश्किल है। सृष्टिकर्ता ने हमें जीवन जीने के लिए तीन महत्वपूर्ण चीजें पानी, हवा और सूर्य की रोशनी दी है, जो अमूल्य उपहार है। यह निश्शुल्क है। पहले कुआं में पूरे वर्ष भर पानी उपलब्ध रहता था, लेकिन अब पानी सूख जाता है। इसकी वजह है कि हम अब पानी का संरक्षण नहीं करते हैं। सदुपयोग की जगह दुरुपयोग हो रहा है। अगर हम पानी का संरक्षण नहीं करेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी को पानी नहीं मिलेगा। पानी का इस्तेमाल पीने, धोने, सिचाई सहित कई अनेक कार्य में आते हैं। आज हमें आपस में बैठकर पानी की समस्या पर बात करने और इसे संरक्षित करने के उपाय पर चर्चा करने की जरूरत है। उपायुक्त ने कहा कि पूर्व के वर्षों में राज्य में काफी संख्या में तालाब थे, लेकिन अब इसे धीरे-धीरे पाट कर कई निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि भूगर्भ जल नीचे चला गया। हमें जलस्त्रोंतों को बंद करने से बचना होगा। लोहरदगा जिले में कई नदिया हैं, लेकिन यह पहाड़ी क्षेत्र है। मैदानी क्षेत्रों में काफी नदियां बहती हैं, जिसके कारण उन क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्तर वाली समस्या कम है या नहीं है। कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा ने कहा कि प्रत्येक वर्ष भूगर्भ जल नीचे जा रहा है। आज सड़क और भवन तो बनवाते हैं, लेकिन कोई वाटर हार्वेस्टिग की आवश्यकता पर ध्यान नहीं देता। जो कि सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है। बड़े शहरों में लोग पीने का साफ पानी खरीद कर पी रहे हैं। आज सभी को जल संरक्षण के बारे जानने की जरूरत है। कार्यक्रम में पेयजल एवं स्वच्छता कार्यपालक अभियंता ने कहा कि भूमिगत जल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसे बचाया जाना अति आवश्यक है। अगर यही स्थिति रही तो हमें 40-50 वर्षों के बाद पीने का पानी नहीं मिलेगा। इसलिए हमें भूमिगत जल के रिचार्ज की दिशा में कार्य करने की जरूरत है।