अपनों की बेवफाई ने बढ़ाई खटास, गहरी खाई मिटने की नहीं आस Lohardaga News

Jharkhand Assembly Election 2019. लोहरदगा में चल रही राजनीतिक अटकलों पर अब विराम लग गया है। कांग्रेस के स्तंभ में कमल निशान लगना तय है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 06:31 PM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 06:31 PM (IST)
अपनों की बेवफाई ने बढ़ाई खटास, गहरी खाई मिटने की नहीं आस Lohardaga News
अपनों की बेवफाई ने बढ़ाई खटास, गहरी खाई मिटने की नहीं आस Lohardaga News

लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। भाजपा की बेजोड़ चुनावी रणनीति ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। लोकसभा चुनाव के बाद से ही लोहरदगा में कांग्रेस के सबसे मजबूत और कद्दावर नेता विधायक सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने को लेकर लग रही अटकलों के बीच अब यह तय हो चुका है कि लोहरदगा के कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत भाजपा में शामिल होंगे। सुखदेव भगत बुधवार को रांची में भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर और मुख्यमंत्री रघुवर दास के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

इसके साथ कांग्रेस के मजबूत स्तंभ में कमल निशान लगना तय है। लोकसभा चुनाव में भितरघात की वजह से सुखदेव भगत के महज 10 हजार वोट के अंतराल से चुनाव में हार के बाद से ही भाजपा में उनके शामिल होने को लेकर चर्चा चल रही थी। ऐसे में अपनों की बेवफाई सुखदेव भगत को रास नहीं आ रही थी। पीड़ा इतनी बढ़ी कि अब सुखदेव भगत अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए कमर कस चुके हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के गुरु-चेला की राह भी अलग हो चुकी है।

लोकसभा चुनाव की खटास ने भी खाई को और गहरा कर दिया था। कांग्रेसियों के लिए यह किसी सदमे और भाजपा के लिए संजीवनी से कम नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि सुखदेव भगत कांग्रेस के बड़े चेहरे में तो शामिल थे ही, साथ ही आदिवासी समाज के साथ्‍ा अल्पसंख्यक समुदाय में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस के लिए उनकी टक्कर में किसी को खड़ा कर पाना थोड़ा मुश्किल जरूर हो जाएगा।

अब तक लोहरदगा में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही चुनावी जंग की चर्चा होती रही है। वर्ष 2005 के चुनाव में सुखदेव भगत के विधायक बनने के बाद यहां कांग्रेस की स्थिति और भी मजबूत हुई थी। तब के भाजपा के सबसे बड़ा चेहरा और आदिवासी नेता के साथ झारखंड सरकार में मंत्री रहे सधनू भगत को चुनाव में हराकर सुखदेव भगत ने भाजपा को करारा जवाब दिया था। इसके बाद वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में आजसू के कमल किशोर भगत से सुखदेव भगत को हार मिली थी।

इसके बाद रांची के चिकित्सक डाॅ. केके सिन्हा के ऊपर हमले के मामले में न्यायालय से हुई सजा के बाद केके भगत के जेल जाने और विधायिका खत्म होने के बाद हुए उप-चुनाव में झारखंड में भाजपा गठबंधन की सरकार रहते वर्ष 2015 के विधानसभा उपचुनाव में आजसू की नीरू शांति भगत को काफी बड़े अंतर से हराकर वापस लोहरदगा की सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी थी।

बता दें कि राज्य प्रशासनिक सेवा से पद त्याग कर वर्ष 2005 में सुखदेव भगत को कांग्रेस में शामिल कर डॉ. रामेश्वर उरांव ने कांग्रेस की स्थिति को मजबूत बना दिया था। सुखदेव भगत के राजनीतिक गुरु डॉ. रामेश्वर उरांव के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही संगठन के मुद्दों को लेकर आपसी तनाव की खबरें लगातार आ रही थी। लोकसभा चुनाव के दौरान भीतरघात में सुखदेव भगत को मिली हार के बाद बाजार में यह चर्चा आम थी कि अपनों ने ही सुखदेव भगत के साथ दगा किया है।

इसके बाद से ही सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने की चर्चा पकड़ी थी। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के बाद गुरु-चेला की राह जुदा हो चुकी है। चार दिन पहले तक कांग्रेसी इस बात को लेकर आत्मविश्वास में थे कि अब सुखदेव भगत भाजपा में नहीं जाएंगे। ऐसे में सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने की अटकलों ने कांग्रेसियों को बेचैन कर दिया है।

chat bot
आपका साथी