लुप्त होने के कगार पर कैरो के बौद्ध मठ की पहचान

शंभू प्रसाद सोनी कैरो (लोहरदगा) बौद्ध धर्म का इतिहास भी काफी समृद्धशाली रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 08:59 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 08:59 PM (IST)
लुप्त होने के कगार पर कैरो के बौद्ध मठ की पहचान
लुप्त होने के कगार पर कैरो के बौद्ध मठ की पहचान

शंभू प्रसाद सोनी, कैरो (लोहरदगा) : बौद्ध धर्म का इतिहास भी काफी समृद्धशाली रहा है। बौध धर्म के लोगों ने हर जगह घूम-घूम कर लोगों को ज्ञान बांटा था। इसके प्रमाण भी समय-समय पर मिलते रहे हैं। लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड मुख्यालय स्थित विराजपुर पथ में स्थित बौद्ध मठ की पहचान अब मिटने के कगार पर है। धरोहर के रूप में अपनी पहचान रखने वाला बौद्ध मठ अब अपनी पहचान धीरे-धीरे खो रहा है। कैरो में बौद्ध-भिक्षुओं का आगमन 16वीं शताब्दी में हुआ था। जिसके बाद उन्होंने कैरो में 12 वर्षों तक रहकर बौद्ध मठ व जोड़ा तालाब का निर्माण कराया था। प्रशासनिक अनदेखी के कारण बौद्ध मठ की पहचान अब लुप्त होने के कगार पर है। कैरो में 16वीं शताब्दी में बौद्ध-भिक्षु बैलगाड़ी व ऊंट की सवारी कर यहां पहुंचे थे। जिसके बाद वे कैरो में एक दशक से अधिक अपना समय व्यतीत किया था। बौद्ध मठ का निर्माण चुना, सुर्खी व उरद दाल का इस्तेमाल कर ईंट व पत्थर से किया गया था। जो कि 400 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी उसी तरह है। हालांकि बौद्ध मठ में एक बार वज्रपात हो जाने के कारण दरार पड़ गई है। समय रहते अगर इसका संरक्षण किया जाए तो एक धरोहर के रूप में बौद्ध-भिक्षुओं की पहचान रह जाएगी। जानकारों के अनुसार बौद्ध धर्म के लोग कैरो प्रखंड में आकर 12 वर्षो तक रुके थे। लेकिन कुछ कारण वश वह पुन: यहां से वापस बोधगया (बिहार) चले गए। आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व वे ऊंट व बैलगाड़ी की सवारी कर बिहार के बोधगया से बौद्धिष्ट कैरो पहुंचे थे। बौद्ध मठ को देखने से आज भी नहीं लगता है कि दो ईंट के बीच में जोड़ाई के लिए किस मसाले का उपयोग किया गया है, लेकिन पुरातात्विक विभाग के सर्वेक्षण के बाद यह बात सामने आई थी कि मठ का निर्माण चुना, सुर्खी व उरद दाल के समिश्रण से हुआ था।

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धरोहर को बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का नहीं है ध्यान :

कैरो प्रखंड के विराजपुर पथ में प्रखंड सह अंचल कार्यालय के सामने स्थित बौद्ध मठ का अस्तित्व अब धीरे-धीरे मिटने के कगार पर है। लेकिन अभी तक इस धरोहर को बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान बिल्कुल नहीं है। विगत ढाई वर्ष पूर्व निवर्तमान प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार द्वारा बौद्ध मठ की मरम्मती के लिए निरीक्षण किया गया था, परंतु अभी तक इसपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा कैरो में कराया था जोड़ा तालाब का निर्माण

: कैरो प्रखंड मुख्यालय स्थित जोड़ा तालाब का निर्माण बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा कराया गया था। हालांकि इस बात से बहुत सारे लोग अनभिज्ञ हैं। लेकिन बुजुर्गों की माने तो सच्चाई यह है कि जोड़ा तालाब का निर्माण कार्य बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा ही कराया गया है। जिसमें एक तालाब का अस्तित्व अब मिटने के कगार पर है। अगर समय रहते मंदिर तालाब का जीर्णोद्धार नहीं कराया गया तो उसका अस्तित्व पूरी तरह मिट जाएगा।

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धरोहर को किसी भी प्रकार से बचाकर रखना चाहिए। इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है। मठ का निरीक्षण कर उसे बचाने के लिए प्रयास करेंगे। किसी भी पुरानी धरोहर को बचाकर रखना सभी लोगों का कर्तव्य है। बौद्ध मठ के जीर्णोद्धार की अगर जरूरत पड़ेगी तो अवश्य कराया जाएगा।

दिलीप कुमार टोप्पो, उपायुक्त, लोहरदगा।

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