अब नीम, गिलोय, अश्वगंधा के पौधे लगा रहे युवा

उत्कर्ष पाण्डेय लातेहार लातेहार जिले में इन दिनों तुलसी गिलोय नीम और अश्वगंधा जैसी जड़ी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 07:35 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 06:24 AM (IST)
अब नीम, गिलोय, अश्वगंधा के पौधे लगा रहे युवा
अब नीम, गिलोय, अश्वगंधा के पौधे लगा रहे युवा

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लातेहार जिले में इन दिनों तुलसी, गिलोय, नीम, और अश्वगंधा जैसी जड़ी बूटियों से बने प्रोडक्ट का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है। कोरोना काल में लोग अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने और खुद को तंदुरुस्त रखने के लिए आयुर्वेद और ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं। नतीजतन पतंजलि समेत अन्य दुकानों से भी नीम, गिलोय, अश्वगंधा से बनी टेबलेट्स आउट ऑफ स्टॉक हो रही है। कोरोना ने सेहत की चिता बढ़ाई तो लोगों के बीच गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी की मांग बेहिसाब बढ़ गई। जिले के पतंजलि दुकानों में गिलोय टेबलेट आउट ऑफ स्टॉक हो रही है। अब लोग साधारण चाय की जगह काढ़ा या फिर तुलसी अदरक की चाय पीना पसंद कर रहे हैं। वहीं इम्यूनिटी बूस्टर गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, अदरक, हल्दी से बने प्रोडक्ट्स की मांग पतंजलि की दुकानों पर काफी ज्यादा है। युवाओं की टीम ने 280 घरों में रोप दिए गिलोय के पौधे पर्यावरण प्रेमी मोहिनीश कुमार ने बताया कि बीते दो माह के दौरान नितीश, राजन, सौरभ व नवनीत को मिलाकर पांच सदस्यों की टीम बनाकर हमलोगों ने 280 लोगों के घरों में गिलोय और 50 लोगों के घरों में पुदीना, गिलोय और तुलसी तीनों के पौधे के एक साथ लगाए हैं। मोहिनीश ने कहा कि औषधीय पौधे प्राचीन समय से गुणकारी रहे हैं, इन पौधों के लाभ के बारे में लोगों को बताकर सभी से पौधे लगवा कर उनका संरक्षण और उपयोग करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। घरों में लगा रहे औषधीय पौधे :

कोरोना काल में युवाओं की आयुर्वेद व पुराने नुस्खों समेत देशी जड़ी-बूटियों के प्रति जागरूकता व जानकारी लेने की रुचि बढ़ रही है। लोग अपने घर के छोटे बगीचे में औषधीय पौधे लगा रहे हैं। इन दिनों गिलोय, तुलसी, पुदीना और नीबू के पौधों की मांग अधिक है। इसके अलावा लोग गमले या किचन गार्डन में अदरक, हल्दी, अर्जुन, लहसुन, शतावर, भृंगराज जैसे औषधीय पौधे लगा रहे हैं। आयुर्वेद को मिल रही ज्यादा तरजीह आयुर्वेद मामलों के जानकार शिक्षक गणेश पासवान ने कहा कि कोरोना का खतरा कमजोर इम्यूनिटी वालों को ज्यादा है। इसलिए एहतियात के तौर पर लोग इम्यूनिटी बढ़ाने में जुटे हैं। ऐसे में पुरानी जड़ी बूटी काफी कारगर है। अब आयुष मंत्रालय भी तुलसी, नीम, गिलोय, अश्वगंधा को इम्यूनिटी बूस्टर बता चुका है। इसलिए लोग एलोपैथिक दवाओं की जगह आयुर्वेद को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।

कोट ::

युवाओं की ओर से औषधीय पौधों को लगाने की दिशा में अच्छी कोशिश हो रही है। आयुष मंत्रालय व स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी निर्देशों का पालन करते हुए इम्यूनिटी बूस्टर का इस्तेमाल कर कोराना को पीछे किया जा सकता है।

अशोक गौतम, सेवानिवृत आर्युेवेद चिकित्सक।

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