नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में कार्य रही चंदवा थाना पुलिस

संवाद सूत्र चंदवा (लातेहार) जीवों का वजूद कायम रहने के लिए जीवनदायिनी नदियों का संरक्षण अ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 09:57 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 09:57 PM (IST)
नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में कार्य रही चंदवा थाना पुलिस
नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में कार्य रही चंदवा थाना पुलिस

संवाद सूत्र, चंदवा (लातेहार) : जीवों का वजूद कायम रहने के लिए जीवनदायिनी नदियों का संरक्षण आवश्यक है। इसके संरक्षण और प्रदूषण मुक्त बनाने का प्रयास सभी लोगों को करना चाहिए। इस दिशा में चंदवा पुलिस की सहभागिता देखते बन रही है। देवनद नदी में वाहनों के लगातार धोए जाने और उसके कारण प्रदूषित हो रही नदी को प्रदूषित होने से बचाने की कोशिश चंदवा पुलिस द्वारा की जा रही है। इसी दिशा में चंदवा पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी आशुतोष कुमार के निर्देशन में चंदवा थाना के कई पुलिस पदाधिकारियों की टीम देवनद नदी पहुंची। एनएच से वाहनों के नदी जानेवाले मार्ग पर स्लीपर (खंभा) लगवा नदी में वाहन प्रवेश पर्र रोक लगाने की दिशा में सार्थक पहल शुरू की। छठ महापर्व के दौरान भी नदियों की सफाई को लेकर चलाए जा रहे स्व्च्छता अभियान में पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी ने भी अभिान में हिस्सा लिया था। पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी ने नदियों को स्वच्छ रखने की अपील करते कहा है कि नदियां हमारी संपदा हैं। यदि इन्हें साफ और सुरक्षित नहीं रखा गया तो वो सदा-सदा के लिए समाप्त हो जाएगीं। जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। बता दें कि मुर्गा-मुर्गी के साथ कई तरह के वाहन लगातार नदी तट पर धोए जाने के कारण नदी का जल दूषित हो रहा था। प्रशासन ने नहीं ली सुध तो ग्रामीणों ने श्रमदान से बनाई सड़क

संवाद सूत्र, चंदवा (लातेहार) : आजादी के साढ़े सात दशक गुजरने को हैं। बावजूद प्रखंड के कई गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। कुछ ऐसा ही हाल चंदवा प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित हुटाप पंचायत के जिलिग गांव का है। चुनाव के समय प्रत्याशी के कुछ प्रतिनिधि भले ही वोट मांगने के लिए वहां पहुंच जाते हैं लेकिन उसके बाद की स्थिति कहने नहीं समझने की जरूरत है। सरकारी हाकिमों की नजर भी शायद ग्रामीणों की समस्या पर नहीं पड़ी। आजादी के 75 वर्षाें बाद तक जब जनप्रतिनिधियों और सरकारी हाकिमों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीणों ने खुद ही पथ निर्माण की सोची और बस क्या था। एनएच किनारे स्थित यात्री शेड से लेकर गांव तक लगभग ढाई किलोमीटर पथ का निर्माण कर दिया। गांव के जगधन गंझू, जितेंद्र गंझू, भुटूर गंझू, सतन गंझू, महावीर गंझू, अशोक दुबे, देवनाथ उरांव, सुरेंद्र गंझू, बाबूलाल लोहरा, दिनेश गंझू, परमानंद कुमार, हलभन सिंह समेत अन्य ग्रामीणों का समूह कुदाल, गैंता, कड़ाही समेत अन्य उपयोगी वस्तुएं लेकर निकले और पथ निर्माण आरंभ किया। एनएच से लेकर गांव तक लगभग ढाई किलोमीटर पथ का निर्माण कार्य की सोच को रूप दिया। समाचार लिखे जाने तक श्रमदान का कार्य जारी था। ग्रामीणों की मानें तो विद्यार्थी, मजदूर समेत प्रतिदिन पांच सौ से अधिक ग्रामीण इस पथ से गुजरते हैं। खराब पथ के कारण परेशानी बढ़ी हुई है। काफी दूरी तक फॉरेस्ट एरिया होने के कारण पथ निर्माण नहीं हो पा रहा। जिलिग समेत आसपास के गांवों के ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए प्रशासन से सार्थक पहल की मांग की है।

कहते हैं मुखिया पति: पंचायत मुखिया पति सकिन्द्र मुंडा ने कहा कि पथ निर्माण के लिए उनके द्वारा प्रयास किया गया है। मुखिया फंड से यह कार्य संभव नहीं है। अन्य परेशानियों की जानकारी देते कहा कि ग्रामीणों को ग्रामसभा कराने के लिए कई बार कहा गया। ग्रामीणों की सार्थक सहभागिता से पथ का निर्माण उनकी सोच में शामिल है।

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