जंगलों के गुमनाम झरने बन सकते हैं लातेहार की पहचान
उत्कर्ष पांडेय लातेहार वैसे तो लातेहार नक्सली गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है लेकिन य
उत्कर्ष पांडेय, लातेहार :
वैसे तो लातेहार नक्सली गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है, लेकिन यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इनका विकास किया जाए तो यहां न केवल पलायन रुकेगा, बल्कि गांव भी आत्मनिर्भर बनेंगे। जिले के जंगलों में ऐसे दर्जनों खूबसूरत गुमनाम झरने हैं, जिनके आस-पास विकास किया जाए, पहुंच पथ और पर्यटकों को सुविधाएं मिले तो जिले का नाम देश के मानचित्र पर टंक सकता है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नेतरहाट आए तो यहां पर्यटन को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दे गए। अब एक उम्मीद की लौ जल उठी है। अधिकारी भी अब रेस हो चुके हैं।
ं
पर्यटन स्थलों की होगी पहचान
जिले में अति सुदूर इलाकों में स्थित पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। लोहरदगा, रांची व लातेहार जिले की सीमा क्षेत्र के बीच घनघोर जंगल में स्थित कांति झरना की जानकारी ले रहे हैं। इसकी वर्तमान स्थिति क्या है, यहां का नजारा किस तरह का है, सुरक्षा व्यवस्था की क्या वर्तमान स्थिति है? रोजगार की संभावनाएं कितनी है? कांति झरना के अलावा, अमझरिया डाक बंगला, लोहरदगा सीमा से सटा रेलवे का 27 नंबर ब्रिज, महुआडांड़ का बूढ़ा घाघ, सुग्गा बांध, मिरचइया फाल, कमलदह झील, ततहा गर्मकुंड, सालोडीह कुंड समेत अन्य पर्यटन स्थलों पर ऐसे तमाम स्थलों की जानकारी जुटाने में लगी है।
चारों तरफ है खूबसूरत नजारा
झरनों के अलावा पलामू किला, बेतला पार्क आदि भी है। सत्तर और नब्बे के दशक तक यहां काफी बांग्ला फिल्मों की शूटिंग हुई। यहां का खूबसूरत नजारा ही ऐसा है। अब सरकार यदि पहल करे तो इन स्थलों के बारे में जानकारी लोगों तक पहुंचाए तो बंगाल ही नहीं, देश के लिए भी यहां आएंगे और प्रकृति का आनंद लेंगे। जिधर देखिए, उधर ही खूबसूरत नजारा दिखेगा। पर, जिले के आला अफसरों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली। नेतरहाट अपने आप में खूबसूरत है। यहां पहुंचने पर चारों तरफ सिर्फ आकाश ही नजर आता है। धरती चपटी लगती है। ऐसे तमाम स्थल हैं, जिन्हें बेहतर ढंग से विकसित किए जाएं तो बड़ी आबादी को रोजगार उनके गांव में दिया सकता है। इससे सरकार को भी कमाई होगी। कोट ::
पर्यटन स्थलों का विकास होने से इस इलाके को नई पहचान मिलेगी। साथ ही रोजगार मिलने से स्थानीय ग्रामीणों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठेगा। हमारा प्रयास होगा कि सुदूर जंगलों में स्थित स्थलों तक पहुंच बने। लोग आएं और प्रकृति का आनंद लें।
- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड।