जिले में सादगी के साथ मनाया गया सरहुल पर्व

संवाद सूत्र लातेहार प्रकृति का पर्व सरहुल को पूरे जिले में सादगी के साथ मनाया गया। जिला मुख्

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 07:21 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 07:21 PM (IST)
जिले में सादगी के साथ मनाया गया सरहुल पर्व
जिले में सादगी के साथ मनाया गया सरहुल पर्व

संवाद सूत्र, लातेहार : प्रकृति का पर्व सरहुल को पूरे जिले में सादगी के साथ मनाया गया। जिला मुख्यालय के बासाओड़ा में गुरुवार को पाहन रुदेश्वर ने पारंपरिक तरीके से प्रकृति की पूजा संपन्न कराई। कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए सरना समिति सह पड़हा समिति लातेहार की ओर से इस वर्ष सरहुल के मौके पर निकलने वाले शोभा यात्रा को स्थगित कर दिया है। इस मौके पर विश्व शांति एवं कोरोना वायरस संकट से दूर करने की कामना की गई। पूजा पाठ के दौरान लोगो ने शारीरिक दूरी का पालन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला परिषद सदस्य विनोद उरांव ने कहा कि सरहुल एक पर्व-त्योहार मात्र नहीं है, बल्कि सरहुल झारखंड के गौरवशाली प्रतिक धरोहर का नाम है। यही धरोहर मानव-सभ्यता, संस्कृति एवं पर्यावरण का रीढ़ है। आदिवासी समाज इंद्रधानुशी आकाश के नीचे प्रतिक छट्टा की रंगस्थली में निवास करता है।सरना समिति के अध्यक्ष हरदयाल भगत ने कहा कि सरहुल वसंत के मौसम के दौरान मनाया जाता है, जब साल के पेड़ की शाखाओं पर नए फूल खिलते है। यह गांव के देवता की पूजा है, जिन्हें इन जनजातियों का रक्षक माना जाता है। सरहुल पर्व में लोग खूब-नाचते गाते हैं, जब साल के नए फूल खिलते है। तब देवताओं की पूजा साल की फूलों से की जाती है। इस पर्व के माध्यम से पाहनों द्वारा बारिश होने की भविष्यवाणी की जाती है और यदि पानी का स्तर सामान्य रहता है, तो वह एक अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है। सरहुल पर्व पूरा गांव गायन और नृत्य के साथ सरहुल का त्योहार मनाता है। यह त्योहार छोटानागपुर के इस क्षेत्र में लगभग सप्ताह भर मनाया जाता है। इस मौके पर समिति के सचिव बिरसा मुंडा, वार्ड सदस्य इंद्रदेव उरांव, रंथु उरांव, सुलेमान एक्का, सुरेंद्र उरांव, मोती उरांव, बसंत भगत, सर्वजीत सिंह, मुंगेश्वर राम,देव कुमार भगत, किरानी उरांव,बालेश्वर उरांव, बालेश्वर उरांव, हीरा सिंह समेत कई लोग मौजूद थे।

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