टमाटर की फसल को सही मूल्य मिले तो जुड़ेंगे प्रवासी मजदूर

लातेहार जिले के बालूमाथ और बारियातू प्रखंड में टमाटर की खेती

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 08:50 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:23 AM (IST)
टमाटर की फसल को सही मूल्य मिले तो जुड़ेंगे प्रवासी मजदूर
टमाटर की फसल को सही मूल्य मिले तो जुड़ेंगे प्रवासी मजदूर

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लातेहार जिले के बालूमाथ और बारियातू प्रखंड में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। फसल की उपज के सीजन में लातेहार के बालूमाथ व बारियातू प्रखंड में उत्पादित टमाटर की सप्लाई देश के विविध हिस्से से लेकर विदेशों तक में होती है। जाने माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमरेश चंद पाण्डेय ने बताया कि इस इलाके में उन्नत किस्म के टमाटर का उत्पादन होता है। खेती के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी की उर्वरता के कारण यहां के किसान बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती करते हैं। लेकिन कई बार टमाटर की फसल का बाहर मांग कम होने के कारण उनका लागत मूल्य तक नहीं निकल पाता। ऐसी हालत में किसानों को काफी नुकसान का भी सामना करना पड़ता है।

दो किस्म के टमाटर की होती है खेती :

लातेहार जिले के बालूमाथ व बारियातू के इलाके में दो किस्म के टमाटर की खेती की जाती है। गुलशन नामक किस्म के टमाटर का छिलका मोटा होता है। इसका इस्तेमाल सब्जी और विशेष तौर पर सलाद के रूप में किया जाता है। वहीं सलेक्शन नामक किस्म के टमाटर के छिलके की परत नरम होती है इसका इस्तेमाल सिर्फ सब्जी, चटनी और टोमैटो कैचअप के लिए किया जाता है।

ऐसे बढ़ सकता है रोजगार का साधन :

टमाटर से प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने की दिशा में कारगर कोशिश से सार्थक परिणाम आ सकते हैं। अनुकूल जलवायु के कारण टमाटर की इलाके में अच्छी पैदावार होती है इसलिए इसकी खेती वृहत पैमाने पर करने के लिए प्रवासी मजदूरों को प्रेरित करना होगा। साथ ही टमाटर पर आधारित प्लांट लगाने होंगे। जिससे टमाटर का किसानों का अच्छा मूल्य मिल जाए। साथ ही स्थानीय स्तर पर टोमैटो कैचअप, जैम एवं जैली बनाने जैसे प्लांट त्वरित रूप से लगाने पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को प्लांटों में रोजगार की व्यवस्था हो जाएगी। प्लांटों के संचालन से उत्पादित माल राज्य से लेकर दूरस्त प्रदेशों में जाएगा तो लातेहार जिले की कीर्ति दूसरे स्थानों पर भी फैलेगी।

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