कोरोना काल में मदद के लिए लोग भोला को करते हैं याद

उत्कर्ष पाण्डेय लातेहार लातेहार जिला स्वास्थ्य विभाग में एक चतुर्थवर्गीय कर्मी भोला को ग्रामीण

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 08:09 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 08:09 PM (IST)
कोरोना काल में मदद के लिए लोग भोला को करते हैं याद
कोरोना काल में मदद के लिए लोग भोला को करते हैं याद

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लातेहार जिला स्वास्थ्य विभाग में एक चतुर्थवर्गीय कर्मी भोला को ग्रामीण स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफ में अक्सर याद करते हैं। भोला भी सूचना मिलते ही सहायता करने के लिए उपस्थित हो जाते हैं। उनकी इस तत्परता का हर कोई कायल है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंदवा में पदस्थापित भोला एंबुलेंस चलाने, ड्रेसिग करने के साथ ही नेबुलाइजर के साथ आक्सीजन चलाने में भी दक्ष हैं। आपात स्थिति में वह इंजेक्शन भी लगा देते हैं, स्लाइन भी चढ़ा देते हैं। जिस कारण उनका नाम दूर दराज के ग्रामीण इलाके में है। एक बुलावे पर वह दूर-दराज के क्षेत्र से मरीज को अस्पताल लाने के लिए खुद पहुंच जाते हैं। कोरोना काल में मरीजों को छूने से डरने वाले कर्मियों के बीच भोला ने अब तक 16 मरीजों को खुद से अस्पताल लाकर इलाज कराया है। एक समय ऐसा भी आया कि अस्पताल में चिकित्सक को मिलाकर सिर्फ तीन लोगों को छोड़कर बाकि सारे कर्मी कोरोना संक्रमित हो छुट्टी पर थे। उस समय भोला ने अस्पताल को ही घर बना लिया और खुद को कोरोना के संक्रमण से बचाते हुए 24 घंटे सेवाएं दीं। दुर्घटना की सूचना सबसे पहले मिलती है

थाना क्षेत्र में कहीं पर दुर्घटना हुई तो ग्रामीणों के बीच लोकप्रिय होने के कारण घायलों के इलाज के लिए भोला को सूचना मिलती है। कई बार पुलिसकर्मियों तक को दुर्घटना के बावत सूचना सत्यापित करने के लिए भोला को फोन करना पड़ता है। कई बार ऐसा हुआ कि रात के समय अस्पताल में एंबुलेंस चालक के नहीं होने पर खुद से एंबुलेंस चलाकर भोला ने घायलों को अस्पताल ही नहीं पहुंचाया बल्कि फास्ट ऐड भी किया है। सुदूर गांव के ग्रामीणों ने जो बताया : 1. ढोंटी गांव के मयन भगत ने बताया कि गत वर्ष बरसात के समय गांव में डायरिया फैल गया। रात के समय दो साल के एक बच्चे की तबीयत खराब हो गई तो भोला को फोन किया तब वह रात एक बजे खुद एंबुलेंस लेकर पहुंचे और बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल लाकर भर्ती किया। समय पर इलाज मिलने से बच्चे की जान बच गई। 2. मुकू गांव के बिरथा उरांव ने बताया कि आठ माह पहले गांव में रतिया उरांव की तबीयत खराब हो गई उसे बुखार और खांसी थी तो कोई उसके पास कोरोना की डर से सट नहीं रहा था। इस पर भोला को फोन किया तो वह खुद से आकर गाड़ी में रतिया को ले गए। चार दिन तक अस्पताल में चले इलाज के बाद वह आज आराम से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है। कोट ::

स्वास्थ्य विभाग के ऐसे कर्मियों की जितनी सराहना की जाए कम ही होगी। कोरोना काल में ऐसे लोगों को मैं सैल्यूट करता हूं।

- सुनील सिंह, सांसद, चतरा लोकसभा क्षेत्र।

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