68 साल के प्रेमशंकर ने सकारात्मक सोच से कोरोना को हराया

जागरण संवाददाता लातेहार कोविड-19 के लिए जारी चिकित्सीय निर्दशों के पालन और समय पर दवा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:04 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 08:04 PM (IST)
68 साल के प्रेमशंकर ने सकारात्मक सोच से कोरोना को हराया
68 साल के प्रेमशंकर ने सकारात्मक सोच से कोरोना को हराया

जागरण संवाददाता, लातेहार : कोविड-19 के लिए जारी चिकित्सीय निर्दशों के पालन और समय पर दवा लेने से मैं 15 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ्य हो गया। यह कहना है कोरोना को हराने वाले 68 वर्षीय प्रेमशंकर भगत का। उन्होंने कहा कि यदि आप भी सही समय से जांच कराकर प्रोटोकॉल के अनुसार दिनचर्या एवं दवाइयों का समय से सेवन करेंगे और सकारात्मक रहेंगे तो आप कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद भी घर पर ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि शुरू में मुझे हल्की सी हरारत हुई जिसे मैंने थकान समझा। इसके दो दिन बाद बुखार हुआ और बुखार होते ही मैंने आरटीपीसीआर जांच कराई। रिपोर्ट आने के पूर्व ही हमने कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन शुरू कर दिया। रिपोर्ट पाजिटिव आई तो कमरे में ही हुआ आइसोलेट

जांच के दो दिन बाद जब हमारी रिपोर्ट पाजिटिव आई तो हमने कोविड-19 के प्रोटोकाल के अनुसार दवाएं लेना प्रारंभ कर दिया और अपने कमरे में ही आइसोलेट हो गया। दवाओं एवं दिनचर्या का परिणाम यह था कि आक्सीजन का लेवल 95 से नीचे नहीं गया और यदि कभी लेवल 96 से नीचे दिखाता था तो हम तुरंत ही गहरी-गहरी सांस भरकर योग करना शुरू कर देते थे और दो मिनट के अंदर ही मेरा आक्सीजन लेवल पुन: सही आ जाता था। ठीक 16 दिनों बाद अपना पुन: टेस्ट कराया और हमारी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई। कोरोना संक्रमण के दौरान ऐसी थी हमारी दिनचर्या :

सुबह छह बजे उठकर छत पर चला जाता था। वहां पर दस मिनट टहलना। उसके बाद सुबह की धूप में आधे घंटे योगा। योगा में विशेष रूप से अनुलोम विलोम, कपालभाति एवं प्राणायाम महत्वपूर्ण था। इसके बाद लौंग, इलायची, अजवाइन, काली मिर्च, तेजपत्ता, दालचीनी, तुलसी एवं अदरक की चाय लेते थे। इसके पश्चात भाप लेते थे। इसके 15 मिनट बाद एक-एक कप गर्म पानी पीते थे। 10 बजे हम हल्का नाश्ता करते थे। 2:30 बजे हम लोग सादा कितु संपूर्ण भोजन करते थे। 5:30 बजे काढ़ा, फिर भाप और रात 9 बजे भोजन करते थे। इसके पश्चात 9:30 बजे हल्दी वाला दूध पीते थे। इस दिनचर्या के दौरान परिवार के सदस्यों से सकारात्मक विचार विमर्श होता था।

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