अब गांव के कचरा का उपयोग होगा खेतों में
ग्रामीण इलाकों में कचरा प्रबंधन को लेकर अब तक ठोस नीति नहीं बन पायी है। सरकार स्तर से यथाकदा कुछ प्लान तो किये जाते है लेकिन धरातल पर उतर नहीं पाता। लिहाजा गांवों का कचरा को लेकर ग्रामीणों की भी परेशानी बढ़ जाती है। इधर केंद्र सरकार द्वारा
संवाद सहयोगी, कोडरमा : ग्रामीण इलाकों में कचरा प्रबंधन को लेकर अब तक ठोस नीति नहीं बन पायी है। सरकार के स्तर से यदाकदा कुछ प्लान तो बनते हैं, लेकिन धरातल पर उतर नहीं पाता। लिहाजा गांवों के कचरे को लेकर ग्रामीणों की भी परेशानी बढ़ जाती है। इधर, केंद्र सरकार द्वारा अब मनरेगा से कचरा प्रबंधन कर वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करने की तैयारी चल रही है। शुरूआती दौर में कचरा खाद बनाने में खर्च का वहन मनरेगा व 15वें वित्त आयोग की राशि से की जाएगी। जबकि तैयार खाद का उपयोग किसान खुद अपनी खेतों में कर सकेंगे। यानी कचरा से खाद बनाने पर सभी खर्च सरकार देगी, जबकि लाभ किसानों को लेना है। इससे जहां गांव में स्वच्छता बहाल होगी, वहीं खेतों में लगे पौधे भी स्वस्थ होगा। इसे लेकर सभी बीडीओ को इच्छुक किसानों का चयन करने को कहा गया है। चयन के उपरांत इस दिशा में तेजी से काम शुरू की जाएगी। 15 वें वित्त आयोग से भी सभी पंचायतों को जनसंख्या के आधार पर राशि प्राप्त हो चुकी है। इस योजना में मजदूरी भुगतान मनरेगा से किया जाएगा, जबकि अन्य खर्च 15वें वित्त आयोग की राशि से होगी। इस संबंध में डीआरडीए के पीओ मनोज कुमार ने बताया कि गांव के कचरा को इकट्ठा कर वर्मी कंपोस्ट बनाने को लेकर सरकार स्तर से दिशा-निर्देश प्राप्त हो गया है। इसमें मनरेगा व 15वें वित्त आयोग की राशि खर्च की जाएगी। इस योजना से किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा। फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण करवाया जा रहा है। वहीं किसान खरीफ फसल का आच्छादन भी कर रहें है। ऐसे में वर्मी कंपोस्ट बनाने में किसानों को सहयोग मिलने से उनकी बचत भी हो सकेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा का भी निष्पादन संभव होगा। उन्होंने कहा कि कचरा खाद तैयार करने में 12 से 13 हजार रुपये की लागत आएगी।