उत्तम त्याग धर्म के रूप में मना पर्युषण का आठवां दिन
श्री दिगम्बर जैन समाज के सानिध्य में दसलक्षण महापर्व का अ
संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): श्री दिगम्बर जैन समाज के सानिध्य में दसलक्षण महापर्व का आठवां दिन शनिवार को उत्तम त्याग धर्म के रूप में मनाया गया। जैन साध्वी 105 सौभाग्य मति माताजी ने अपने अमृतमय प्रवचन में कहा कि त्याग के बिना कोई धर्म जीवित नहीं रह सकता। जिसने भी अपने जीवन में त्याग किया है वही चमकता है। धर्म और आत्मा को जीवित रखने के लिए त्याग आवश्यक है। समस्त भोग विलास की वस्तु का त्याग करना ही मुक्ति का मार्ग है अपने जीवन में खराब कार्यों और पापों का त्याग करना चाहिए तभी मनुष्य जीवन की सार्थकता है। इतिहास साक्षी है कि भगवान श्री राम, भगवान महावीर, आदि महापुरुष अपने त्याग धर्म के कारण है, जन-जन में पूजनीय और वंदनीय है। इसके पूर्व सुबह में विश्व शांति मंत्रों के द्वारा अभिषेक पूजन किया गया। भगवान पारसनाथ की शांति धारा का मौका सुरेंद्र सौरभ जैन काला परिवार को मिला। नया मंदिर में भगवान महावीर की शांति धारा का सौभाग्य हनुमान नवीन जैन पाटनी परिवार को मिला। प्रकाश जैन कमल पीयूष जैन कासलीवाल साक्षी जैन नितिन जैन हैदराबाद के परिवार ने भी भगवान का अभिषेक शांतिधारा किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों को पारितोषिक वितरण दिल्ली के किशोर-आशा जैन पांड्या, मूलचंद सुशील जैन छाबड़ा ने दिया। यह जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन और राजकुमार अजमेरा ने दी।