धर्म व मानवता के रक्षक थे गुरु हरगोविद सिंह : यशपाल
मानवता की रक्षक थे गुरु हरगोविद सिंह यशपाल संवाद सहयोगी झुमरीतिलैया (कोडरमा) सिखों के छठे गुरु श्री हरगोविद सिंह साहेब जी का प्र
संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): सिखों के छठे गुरु श्री हरगोविद सिंह साहेब जी का प्रकाश पर्व गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा में शुक्रवार को मनाया गया। कार्यक्रम में सबसे पहले 21 चौपाई साहब के पाठ किए गए। उसके बाद शब्द कीर्तन हुआ शब्द कीर्तन करने वालों में राजा सिंह निरंजन सिंह गुरभेज सिंह गुरप्रीत कौर ने शब्द गायन किया। प्रधान सेवादार यशपाल सिंह गोल्डन ने बताया कि आज ही के दिन 1595 ईसवी में श्री गुरु हरगोविद साहिब जी का प्रकाश हुआ था। इनकी माता का नाम गंगा देवी, पिता का नाम गुरु अर्जुन देव था। इन्होंने कहा था कि हम अत्याचारियों का अत्याचार नहीं सह सकते। इसलिए हम दो कृपाण धारण करेंगे। एक से फकीरी करेंगे और दूसरी से दुश्मनों का नाश करेंगे। हम किसी का भी अत्याचार को नहीं सहेंगे। अपने धर्म को कभी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने अपने धर्म को बचाने के लिए मुगलों के साथ चार लड़ाइयां लड़ी और जीतीं। इन्होंने अपने सिखों को निर्देश दिया कि आप घोड़े अस्त्र-शस्त्र सब रखें, क्योंकि किसी भी अत्याचारी का अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिदू सिख धर्म की रक्षा और मानवता के लिए उन्होंने हमेशा आगे बढ़कर काम किया। कार्यक्रम की समाप्ति के उपरांत गुरुद्वारा साहिब में गुरु घर का अटूट लंगर का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में सरदार हरपाल सिंह, सरदार गुरभेज सिंह, सरदार गुरभेज सिंह शम्मी, सरदार जसवीर सिंह, सरदार मंजीत सिंह, सरदार जसवंत सिंह, सरदार सहमिदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, सिद्धार्थ सलूजा, जसकृत सिंह, गुरजीत सिंह आदि उपस्थित थे।