रोहिणी नक्षत्र शुरू, खरीफ को लेकर किसानों की बढ़ी चिता

गांव-देहात में किसान खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरूआत हो गई है। यह नक्षत्र अत्यधिक गर्मी के साथ धरती को तपने के लिए जानी जाती है। किसान धान का बीज खेत में गिराना शुरू करते हैं। लेकिन मौजूदा समय में लॉकडाउन के बीच खरीफ की खेती पर संकट दिख रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 05:55 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 06:01 PM (IST)
रोहिणी नक्षत्र शुरू, खरीफ को लेकर किसानों की बढ़ी चिता
रोहिणी नक्षत्र शुरू, खरीफ को लेकर किसानों की बढ़ी चिता

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): गांव-देहात में किसान खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरूआत हो गई है। यह नक्षत्र अत्यधिक गर्मी के साथ धरती को तपने के लिए जानी जाती है। किसान धान का बीज खेत में गिराना शुरू करते हैं। लेकिन मौजूदा समय में लॉकडाउन के बीच खरीफ की खेती पर संकट दिख रहा है। कृषि विभाग के खरीफ से जुड़ी तैयारियां अभी प्रभावित होती नजर आ रही है। खेतीबारी को लेकर आधा दर्जन योजनाओं पर मंथन होना बाकी है। किसान धान बीज समय पर उपलब्ध होने व पटवन आदि को लेकर अभी से चितित है। खरीफ की योजनाओं की जानकारी के लिए हर वर्ष जिलास्तर व प्रखण्ड स्तरों पर कार्यशाला होती थी, लेकिन इस वर्ष यह सब बाधित है। खरीफ की विभिन्न योजनाओं के लिए किसानों का चयन किया जाता था। इसमें किसान सलाहाकार की बड़ी भूमिका होती है। कोडरमा प्रखंड के बीटीएम संतोष कहा कि राज्य स्तर से बीज से संबंधित राज्यादेश नहीं आने कारण अभी पैक्स में बीज उपलब्ध नहीं है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभुकों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की जानकारी दी गई है। जिसके तहत किसान मित्रों द्वारा किसानों को फोन द्वारा या मिलकर उसे बैंक से केसीसी लोन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। खेती कार्य में जुटे किसान

संवाद सूत्र, जयनगर (कोडरमा): पिछले दो माह से लॉक डाउन की वजह से किसानों के गरमा फसल में नुकसान तो हुआ ही अब खरीफ फसल की चिता सताने लगी है। कई बड़े किसान तो अपने खेतों की जुताई करने में जुट गए हैं, परंतु उन्हें बीज की चिता सता रही है। डुमरी के किसान कृष्णा कुमार ने बताया कि बाजार बंद है जिसके कारण बीज खरीदने में काफी परेशानी होगी। वहीं ककरचोली के किसान संजय यादव ने बताया कि अभी तक प्रखंड कार्यालयों का पूर्ण रूप से संचालन ही नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस लॉक डाउन में प्रधानमंत्री निधि योजना से उन्हें राशि तो मिली है परंतु जब बाजार में बीज ही नहीं मिलेगा तो उस राशि का क्या फायदा। इधर लोहाडंडा के किसान राजकुमार सिंह ने भी बताया कि धान की खेती ही इस क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण है। अगर धान की खेती नहीं हो पाएगी तो किसानों की कमर टूट जाएगी। क्योंकि पूरे जयनगर प्रखंड में सिचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान सिर्फ धान की खेती करते हैं। सांथ के किसान सुधीर कुमार कहते हैं कि सरकार प्रधानमंत्री निधि योजना तथा केसीसी की व्यवस्था तो की है पर इस लॉकडॉउन की वजह से दुकानों में बीज मिलना मुश्किल हो रहा है। क्या कहते हैं अधिकारी

प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार गुप्ता ने बताया कि फिलहाल सरकार द्वारा आत्मा के माध्यम से किसानों को बीज मुहैया कराने का कोई दिशा निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है। लेकिन किसानों के खाते में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत राशि भेजी गई है। साथ-साथ केसीसी की राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार का यह निर्देश है कि जिन किसानों के आवेदन बैंकों में केसीसी के लिए जमा कराया गया है या जो किसान केसीसी के लिए आवेदन कर रहे हैं उन्हें निश्चित तौर पर केसीसी की राशि उपलब्ध कराया जाए। वहीं सहायक तकनीकी प्रबंधक ओम प्रकाश की माने तो उन्होंने बताया कि आत्मा के माध्यम से किसानों को बीज उपलब्ध कराया जाता था परंतु इस लॉकडाउन की वजह से अब तक कोई भी दिशा-निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है।

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