कत्ते आया टेरी ना, धूम चरकड़ा फेरी ना...

संवाद सहयोगी झुमरीतिलैया (कोडरमा) कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को लेकर जिले में रि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 07:08 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 07:08 PM (IST)
कत्ते आया टेरी ना, धूम चरकड़ा फेरी ना...
कत्ते आया टेरी ना, धूम चरकड़ा फेरी ना...

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा) : कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को लेकर जिले में रविवार को पंजाबी और राजस्थानी समाज की महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए करवाचौथ का व्रत रखा। सुहागिन महिलाओं ने विधिविधान से पूजन कर विघ्नेश्वर गणेश, गौरी-शिव और कार्तिकेय की पूजा कर पति की दीर्घ आयु की कामना की। इस अवसर पर कत्ते आया टेरी ना धूम चरकड़ा फेरी ना, वान पैर पाई ना सुतड़ा जगाया.... तथा दासी तेरी सुन मइया जब तक जियो सुहागिन रही जैसे गीत से कार्यक्रम स्थल गूंजता रहा।

व्रतियों ने पौराणिक कथा सुनकर पूजन किया। अक्षय सुहाग का वरदान मांगकर परिवार में सुख, शांति और स्वास्थ्य रक्षा की कामना की। रात्रि में चंद्रमा के उदित होने पर महिलाओं ने अ‌र्घ्य दिया। चलनी की ओट से चांद व पति का चेहरा देखकर आशीष लिया। पूजा-अर्चना कार्यक्रम में जेठानी- देवरानी, सास-ननद ने पूजा-अर्चना की। करवाचौथ को लेकर महिलाएं सोलह श्रृगारों मे नजर आई। पर्व को लेकर जहां साडी, सूट की खरीदारी की, वहीं रविवार सुबह से ही ब्यूटी पार्लरों और मेहंदी वालों के यहां विवाहिताओं की भीड़ लगी रही। पर्व पर पतियों ने उपहार में पत्नी को वाहन, मोबाइल व अन्य सामग्रियां दी।

गुरुद्वारा रोड में आयोजित कथा के मौके पर महिलाओं ने पूजा-अर्चना के साथ-साथ एक दूसरे को थालियों की परिक्रमा भी कराई। इस दौरान गुरुद्वारा रोड स्थित संजय सूद के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में रश्मि सूद, पूजा सलुजा, प्राची सलुजा, अंजलि सूद, मिली सलुजा, सरोज छाबड़ा, कंचन रानी,सुरेंद्र कौर, उषा रानी, मनीषा कौर, प्रिया कौर, पूनम अजमानी, रिया कौर, आयुषी चबाला आदि उपस्थित थी। यहां पूजा अर्चना उषा शर्मा ने कराई।

इधर मरकच्चो में सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व निराहार रहकर करवा चौथ व्रत रखा। शुभ मुहूर्त देखकर भगवान कार्तिकेय, भोले शंकर और माता पार्वती की भक्ति भाव से पूजा अर्चना की गई। इसके बाद व्रतियों ने बेसब्री से चांद के दीदार होने का इंतजार किया। चलनी में चांद का दीदार किया व फिर पति की आरती की। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण की तथा व्रत का समापन किया।

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