इंसान का जंगल पर अतिक्रमण, हाथी कर रहे गांव का भ्रमण
हर जगह से खदेड़े जा जागरण संवाददाता कोडरमा चल-चल-चल मेरे हाथी ओ मेरे साथी.. फिल्म हाथी मेरे साथी का
जागरण संवाददाता, कोडरमा: चल-चल-चल मेरे हाथी, ओ मेरे साथी.., फिल्म हाथी मेरे साथी का यह गीत आज के दौर में अप्रासंगिक हो गया है। हाथियों को नैसर्गिक आशियाना पर इंसानी अतिक्रमण हुआ तो हाथी जंगल से गांव की ओर आने लगे। लेकिन यहां इंसान अपने ऊपर आते खतरे को देख हाथियों को खदेड़ना शुरू कर दिए हैं। हालत यह है कि हाथी एक जिले से दूसरे जिले में खदेड़े जा रहे हैं। एक दिन पहले केंदुआडीह पहाड़ी पर हाथियों का झुंड आश्रय लिए हुए था। देर शाम सतगावां आने से लोगों में दहशत का माहौल है।
करीब एक पखवाड़ा पूर्व हजारीबाग के बरकट्ठा के जंगली क्षेत्र से कोडरमा जिले के जयनगर प्रखंड में घुसा नौ हाथियों का झुंड एक जगह से दूसरी जगह खदेड़े जा रहे हैं। जयनगर में उत्पात मचाने के बाद वन विभाग का निरोधी दस्ता ने इसे डोमचांच की ओर खदेड़ दिया। यहां सपही, जानपुर में उत्पात मचाने के बाद हाथी दो दिनों तक बिहार के रजौली की सीमा में चले गया। वहां से वनकर्मियों ने इस झुंड को खदेड़कर वापस कोडरमा जिला के सतगावां के जंगली क्षेत्र में भेज दिया। दो दिनों तक सतगावां में हाथियों का यह झुंड उत्पात मचाते रहा। इसके बाद सतगावां के वनकर्मियों व विभाग द्वारा बुलाए गए एक्सपर्ट की टीम ने मशाल लेकर हाथियों को गिरिडीह जिला के गांवा के जंगली सीमा में खदेड़ दिया। बुधवार को हाथियों ने गावां थाना क्षेत्र के केंदुआडीह में कई मशीन, घर को क्षति पहुंचाया। वहां से खदेड़े जाने के बाद हाथी गावां व सतगांवा थाना की सीमा पर केंदुआडीह के जंगली क्षेत्र में दिनभर पहाड़ी के चोटी पर जमे रहे। देर शाम सतगावां की सीमा में प्रवेश कर गए।। इससे सतगावां थाना क्षेत्र के कैरी,बेलाटांड़, रसेला, जोगीडीह,मोहनपुर, राजाबर, ठेसवा, बैगना, छपरी, हाडोलवा जैसे जंगल से सटे गांवों के लोग भयभीत हैं। बहरहाल हाथियों को लेकर वन विभाग कोई स्थायी समाधान नहीं ढूंढ पाया है।