पर्यटन क्षेत्रों को सहेजने का प्रयास, लोगों की बढ़ी आस

पर्यटन क्षेत्रों को सहेजने का प्रयास लोगों की बढ़ी आस संवाद सहयोगी कोडरमा आओ चलें हम झुमरीतिलैया..पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उदित नार

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 05:15 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 07:31 PM (IST)
पर्यटन क्षेत्रों को सहेजने का प्रयास, लोगों की बढ़ी आस
पर्यटन क्षेत्रों को सहेजने का प्रयास, लोगों की बढ़ी आस

संवाद सहयोगी कोडरमा : आओ चलें हम झुमरीतिलैया..पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उदित नारायण के इस गीत को साकार करने की दिशा में प्रयास शुरू हो गया है। पर्यटन के लिहाज से कोडरमा जिला काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इंटरनेट मीडिया में हिट रहे इस गीत के माध्यम से भी कोडरमा के पर्यटन स्थलों को विशेष तवज्जो दिया गया है। यहां पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को प्रशासन ने जाना और अब इसे साकार करने का प्रयास शुरू हो गया है। फिलहाल उपलब्ध फंड के अनुरूप एक करोड़ रुपये पर्यटन स्थलों में सुविधा बहाल करने में खर्च किया जा रहा है।

जिले के तिलैया डैम, वृंदाहा वाटर फाल, पेट्रो जलप्रपात, घोड़सीमर धाम में विकास को धरातल पर उतारा जा रहा है। इन पर्यटन स्थलों में बदलाव से क्षेत्र में काफी परिवर्तन आएगा। एनएच 31 के निकट स्थित तिलैया डैम पर्यटकों की खास पसंद रहा है। यहां सुविधाओं के बहाल होने के बाद यहां की रौनक काफी बढ़ जाएगी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस डैम का उद्घाटन किया था। पहाड़ों से घिरा रहने के कारण यह बेहद खूबसूरत दिखता है। लिहाजा पर्यटक यहां खिचे चले आते हैं। दिसंबर-जनवरी में यहां काफी भीड़ होती है।

2200 वर्ष पुराना है घोड़सीमर मंदिर

सतगावां स्थित घोड़सीमर मंदिर न सिर्फ विशेष महत्ता रखती है,बल्कि यह 2200 वर्ष पुराना माना गया है। जिला प्रशासन भी मंदिर व इसके इर्दगिर्द रखी मूर्तियों को देखते हुए यह संभावना जाहिर कर रहा है। इस मंदिर की कई मूर्तियां आज भी आस पास की झाड़ी व खेतों में पड़ी हुई हैं। ग्रामीणों का दावा है कि महाराष्ट्र स्थित घुरमे‌र्श्वर नाथ का मूल मंदिर घोड़सीमर ही है। यहां तक कि यह उतरकालीन गुप्तकाल का निर्मित मंदिर माना जा रहा है। उस काल की मूर्तियों की आकृति से यहां की मूर्तियां की आकृति मिलती-जुलती हैं। पूर्व में प्रशासन द्वारा राज्य पर्यटन विभाग को इतिहासकारों से इसकी अध्ययन कराने के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया था। इतना ही नहीं, इस मंदिर की आकृति व मूर्तियों को आकार-प्रकार नालंदा व इटखोरी की मूर्तियों की आकृति की तरह ही है। यहां झांड़ियों में मिली नंदी की मूर्ति भी इटखोरी मंदिर में विराजमान नंदी की तरह है। इस मंदिर में पड़ा शिवलिग भी काफी बड़ा है। कई मूर्तियां बौद्ध काल के समय की मानी जाती हैं जो झाड़ियों के आसपास हैं। यहां मंदिर के निर्माण स्थल का अवशेष भी है। प्रशासन ने यहां मूर्तियों का संग्रह कर म्यूजियम बनाने तथा खुदाई का भी प्रस्ताव पूर्व में दिया है। अतुलनीय है वृंदाहा का वाटर फाल::::::::::::3

कोडरमा प्रखंड के जरगा पंचायत स्थित वृंदाहा वाटर फाल भी प्राकृतिक सौंदर्य सहेजे हुए है। यहां का नजारा स्वर्ग जैसा है। जरगा गांव से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर हरी वादियों में वृंदाहा वाटरफाल दो ऊंचे पहाड़ों के बीच से होकर गुजरती है। अच्छी सड़क नहीं रहने के कारण यहां का विकास नहीं हो पाया है। हालांकि, हाल के दिनों में यह स्थल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रशासनिक पदाधिकारी भी यहां का जायजा लेकर इसके विकास के लिए अच्छी सड़क व अन्य सुविधाएं बहाल का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल सड़क व अन्य निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। यहां जून से जनवरी तक आम लोगों की खासी भीड़ लगी रहती है।

सात पहाड़ों से होकर आता है पेट्रो का पानी

सतगावां स्थित पेट्रो जलप्रपात भी पर्यटन विकास के लिए अनोखा है। यह स्थल विशेषताओं से भरा है। गर्मी के मौसम में भी इस जलप्रपात का निर्मल जल सात पहाड़ों से होकर आता है। वर्षों से उपेक्षित इस स्थल के विकास के लिए ग्रामीणों की कमेटी बनाकर सक्रिय किया गया है। इस स्थल में भी सुविधा बहाल के लिए विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रस्ताव पर्यटन विभाग को भेजा है।

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