29 को मनाया जाएगा कठिन साधना का व्रत जिऊतिया
संवाद सहयोगी झुमरीतिलैया (कोडरमा) संतान की दीर्घायु व बेहतर स्वास्थ्य कामना का पर्व जिऊ
संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया, (कोडरमा): संतान की दीर्घायु व बेहतर स्वास्थ्य कामना का पर्व जिऊतिया 29 सितंबर को है। इसे हिदू धर्म की महिलाएं बड़े ही भक्ति के साथ मनाती हैं। पर्व को लेकर घर-घर तैयारी शुरू हो चुकी है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। यह सबसे कठिन व्रत है, क्योंकि इसमें व्रती महिलाएं सुबह से रात तक निर्जला रहती हैं। झुमरीतिलैया के पंडित जीवकांत झा बताते हैं कि यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र व निरोगी काया की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं। सप्तमी को नहाय-खाय के दिन सूर्यास्त के बाद व्रती महिलाएं अन्न-जल त्याग देती हैं। हालांकि तीज भी निर्जला ही होता है, लेकिन उसमें आजकल महिलाएं फल खा लेती हैं, जबकि इसमें कुछ नहीं खाया जाता। जो महिलाएं बीमार होती हैं, वह यह व्रत नहीं करती हैं। शास्त्र में भी बीमार के लिए व्रत से छूट दी गई है। कुछ महिलाएं नियमित रूप से दवा लेती हैं, जिसे छोड़ा नहीं जा सकता, वह महिलाएं इस व्रत को नहीं करती हैं।