सिस्टम है बेहाल, सड़कों का बुरा हाल
बेहतर सड़कें ना सिर्फ दुर्घटनाएं रोकने में असरदार होती है बल्कि
संवाद सहयोगी, कोडरमा: बेहतर सड़कें ना सिर्फ दुर्घटनाएं रोकने में असरदार होती है, बल्कि आम-अवाम के लिए हर रूप से सुविधाजनक होती हैं। लेकिन कोडरमा जिले में जर्जर सड़कें ही यहां की पहचान बन गई है। सड़कों के निर्माण से लेकर मरम्मत तक के कार्यों में भ्रष्टाचार पूरी तरह हावी है। ऐसे मामलों में ना तो विभाग सक्रिय है और ना ही प्रशासनिक पदाधिकारी। लिहाजा समय के पूर्व सड़कें दम तोड़ रही है। इसका खामियाजा जनता को भारी जोखिम उठाकर भुगतना पड़ रहा है। जिले में मुख्य सड़क से लेकर ग्रामीण सड़कें तक जर्जर अवस्था में है। रांची-पटना मुख्य मार्ग का कोडरमा घाटी की सड़क में सुरक्षित परिचालन वाहन चालकों के लिए भयावह रहा है। पिछले तीन-चार बरसाती मौसम में इस सड़क पर वाहनें किसी तरह रेंगरेंग कर संकट को पार की है। इस दौरान प्रतिदिन वाहनों में तकनीकी खराबी, छोटी दुर्घटनाएं होते रही। व्यवसायिक वाहनों के लिए कोडरमा घाटी में तकनीकि खराबी पर पुलिसिया परेशानी अलग से झेलनी पड़ती है। इधर, जयनगर, सतगांवां, मरकच्चो इलाके में अधिकतर ग्रामीण सड़कें गढ्ढे में तब्दील है। एनएच में कोडरमा घाटी, उरवां अलावा कोडरमा-डोमचांच रोड में दर्घटनाएं अत्यधिक होती है। हालांकि सड़क सुरक्षा समिति द्वारा पूर्व में सबसे अधिक दुर्घटना वाले दस ब्लैक स्पाट को चिह्नित कर व्यवस्था बहाल के दिशा में कदम उठाया गया था। इधर, नये सिरे से ब्लैक स्पाट चिह्नित करने की कार्रवाई शुरू की जा रही है, ताकि वैसे स्थलों पर सुरक्षा संबंधित उपाय किये जा सके।
आबादी वाले इलाकों में भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं
कोडरमा बाजार अंतर्गत हनुमान मंदिर के समीप दो सड़कें एनएच और एसएच एक साथ मिलती है। यहां दुर्घटना की संभावना भी प्रबल होती है। पूर्व में कई दुर्घटनाएं हुई भी है। बावजूद यहां व्यवस्था बहाल या सुरक्षा उपायों को लेकर किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया। इसी तरह कोडरमा बाजार के ही डा. उर्मिला चौधरी आवास के समीप तीखा मोड़ दुर्घटना का कारण बना है। इन स्थलों में जरूरी सुरक्षा उपायों की घोर कमी है। मुख्य सड़क में ही आबादी वाले इलाकों में सुरक्षित परिचालन को लेकर डिवाइडर, सिग्नल, रिपेक्लेक्टर, साईनेज आदि की कोई व्यवस्था नहीं होना बेहाल सिस्टम को दर्शाता है। वहीं झुमरीतिलैया से चंदवारा तक कई गांव एनएच से जुड़ा है, जहां भी किसी तरह की व्यवस्था नहीं होने से दुघर्टना की संभावना प्रबल होती है। सड़कों पर ही होती है ट्रकों की पार्किंग
मुख्य सड़कों में वाहनों की पार्किंग भी कभी-कभी दुर्घटना का कारण बन रही है। झुमरीतिलैया बाइपास रोड में सैकड़ों वाहनों की पार्किंग सड़कों पर ही होती है। इसी तरह डोमचांच इलाकों में हाल बेहाल है। यहां तक कि सड़कों के किनारे बड़े गैराज संचालन के कारण भी कंडम गाड़ियों को सड़कों के किनारे ही छोड़ दिया जाता है। ऐसे मामलों में जिला प्रशासन पूरी तरह उदासीन है। ब्लैक स्पाट को चिह्नित किया जा रहा: डीटीओ
डीटीओ भागीरथ प्रसाद के अनुसार अधिक दुघर्टना वाली क्षेत्रों को चिह्नित कर सुरक्षा के तमाम उपाय किए जाएंगे। पूर्व से जिले में 10 ब्लैक स्पाट चिह्नित हैं। उन स्थानों में दुघर्टना में कमी आई है। नए स्पाट में सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने के साथ-साथ सुरक्षा के उपाय, साईन बोर्ड आदि लगाए जाएंगे।