दुर्लभ डाक टिकट किसी खजाने से कम नहीं : बीडीओ

डाकघर में डाक दिवस पर सात हजार से अधिक डाक

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 06:18 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 06:18 PM (IST)
दुर्लभ डाक टिकट किसी खजाने से कम नहीं : बीडीओ
दुर्लभ डाक टिकट किसी खजाने से कम नहीं : बीडीओ

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): मुख्य डाकघर में डाक दिवस पर सात हजार से अधिक डाक टिकट एवं 100 सबसे पुराने लिफाफे का संग्रह करने पर विकास पाटनी को बीडीओ रेशमा डु्रंगडुंग एवं सीओ अनिल कुमार ने सम्मानित किया। रेशमा डुंगडुंग ने कहा कि दुर्लभ डाक टिकट खजाने से कम नहीं होते हैं। ये जितने पुराने होते हैं, उनकी कीमत भी उतनी ही मिलती है।

उन्होंने कहा कि झुमरीतिलैया फरमाइशी गीतों के लिए जाना जाता है। विकास पाटनी का कलेक्शन संग्रह अनूठा है। बच्चों के लिए यह धरोहर के रूप में काम आ सकता है। उन्होंने विभाग से इसकी प्रदर्शनी लगाने को कहा है। सीओ अनिल कुमार ने कहा कि नई पीढ़ी के लिए यह डाक टिकट हौसलाअफजाई का काम करेंगे और कोडरमा ही नहीं पूरे राज्य स्तर पर प्रदर्शनी लगाने की बात कही।

डाक निरीक्षक संजय संगम ने कहा कि विभाग 10 से 17 अक्टूबर तक डाक सप्ताह मना रहा है। 1955 में झारखंड पहला डाक टिकट तिलैया डैम पर जारी हुआ था। वर्तमान में डाक विभाग 300 रुपये में 12 डाक टिकट बनाकर किसी भी व्यक्ति का उपलब्ध करवा रहा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए केटीपीएस के पोस्टमास्टर बालमुकुंद यादव ने कहा कि डाक टिकट संग्रह हमें इतिहास के बारे में रूबरू करवाता है। विकास पाटनी ने कहा कि वो 1989 से डाक टिकटों का संग्रह कर रहे हैं जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अलावा कई महापुरुषों का टिकट उनके पास उपलब्ध है। इस अवसर पर मंटू वर्मा, सौरभ कुमार, उमेश कुमार ंसंजीत पाडेय, पिकु कुमार अवध्या, खुशबु कुमारी, देशना पाटनी आदि उपस्थित थीं।

chat bot
आपका साथी