जरूरतमंदों के लिए नहीं बढ़े मदद के हाथ, फीकी रहेगी ईद

संवाद सहयोगी कोडरमा लगातार दो सालों से रमजान के पाक महीने के बाद आने वाली ईद की रौन

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 08:19 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 08:19 PM (IST)
जरूरतमंदों के लिए नहीं बढ़े मदद के हाथ, फीकी रहेगी ईद
जरूरतमंदों के लिए नहीं बढ़े मदद के हाथ, फीकी रहेगी ईद

संवाद सहयोगी, कोडरमा : लगातार दो सालों से रमजान के पाक महीने के बाद आने वाली ईद की रौनक फीकी पड़ गई है। पिछले साल भी कोरोना वायरस के कारण 23-24 मई को पड़ने वाली ईद की रौनक फीकी हो गई थी और इस बार भी शुक्रवार को मनाई जाने वाली ईद काफी हद तक फीका नजर आएगी। हालांकि पिछले साल और इस साल की ईद में काफी बदलाव है। पिछले साल जहां रमजान के पूरे पाक महीने और ईद उल फितर को लेकर जिला प्रशासन और अन्य सामाजिक संगठनों की ओर से जरूरतमंदों के बीच राहत सामग्रियों का वितरण किया गया था और फीकी हो रही लोगों की ईद में रौनक लौट आने का प्रयास किया गया था लेकिन इस बार ईद की रौनक पूरी तरह से फीकी पड़ती नजर आ रही है। स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के रूप में लगाया गया मिनी लॉकडाउन से जहां रोज कमाने खाने वाले लोगों के लिए ईद का पर्व पूरी तरह से फीका रहने वाला है। क्योंकि इस बार न तो सामाजिक संगठनों की ओर से ऐसे जरूरतमंद परिवारों के लिए कोई व्यवस्था किया गया है और ना ही प्रशासन की ओर से। असनाबाद के रहने वाले डब्लू खान, मोहम्मद समशाद, और इलियास अंसारी ने बताया कि वे लोग झुमरी तलैया में ओवर ब्रिज के नीचे जूते चप्पल और अन्य सामग्रियों की दुकान लगाते हैं। लेकिन, 22 अप्रैल के बाद से उनकी दुकान स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के निर्देशों के कारण बंद है। उनकी कमाई पूरी तरह से ठप पड़ गई है। ऐसे में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला ईद इस बार फीका रहेगा और गुरुवार को निकलने वाले ईद के चांद को देखकर उन्हें खुशी के बजाय मायूसी हो रही है। उन्हें इस बात की चिता है कि उनके बच्चों को न तो पहनने के लिए नए कपड़े मिलेंगे और ना ही ईद के मौके अलग-अलग वैरायटी के सेवईयों का स्वाद। भादोडीह के रिकू खान, अरशद अंसारी और पप्पू खान ने बताया कि वह लोग मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं। लेकिन संक्रमण के दूसरे फेज के आक्रामक प्रभाव को देखकर न तो उन्हें काम मिल रहा है और न ही कहीं से मदद मिल पा रही है। ऐसे में साल भर में एक बार आने वाले ईद को लेकर खुशी जरूर है, लेकिन अच्छे से ईद न मना पाने का अफसोस भी उन्हें हो रहा है।

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