धान क्रय में है देरी, बिचौलियों को बेचना है मजबूरी

क्षेत्र में छोटे से लेकर बड़े किसान धान मलकर बोरे में कसाई

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 07:54 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 07:54 PM (IST)
धान क्रय में है देरी, बिचौलियों को बेचना है मजबूरी
धान क्रय में है देरी, बिचौलियों को बेचना है मजबूरी

संवाद सूत्र, जयनगर (कोडरमा): क्षेत्र में छोटे से लेकर बड़े किसान धान मलकर बोरे में कसाई कर चुके हैं। अब उन्हें उचित मूल्य पर बेचने की चिता सता रही है। पिछले दिनों जयनगर प्रखंड में परसाबाद, रूपायडीह, तिलोकरी तथा डंडाडीह, पैक्स में धान अधिप्राप्ति केंद्र का उद्घाटन तो किया गया, लेकिन गीला धान खरीदने को लेकर सरकार के आदेश के बाद यहां अभी तक क्रय शुरू नहीं किया गया है। इससे किसानों में मायूसी है। किसानों का कहना है कि अगर सरकारी व्यवस्था में इस तरह की पेंच आएगी तो उन्हें धान बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर होना पड़ेगा। साथ ही अपने उपजाए गए धान की कीमत का सिर्फ 50 प्रतिशत ही तत्काल दिया जाता है, बाकी की राशि उनके बैंक के खाते में दी जाती है जिससे किसानों को कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

क्या कहते हैं क्षेत्र के किसान

सरकार द्वारा बनाए गए नियम किसानों के लिए अनुचित हैं। क्षेत्र में धान अधिप्राप्ति केंद्र तो खोला गया परंतु आज तक उन केंद्रों में किसानों के धान नहीं खरीदे गए हैं, जिससे किसान अब बिचौलियों के हाथों अपना धान बेचने को मजबूर हैं।

बाबूलाल यादव, किसान, डुमरी। सरकारी नियम में इतना पेंच है कि किसान अपना धान पैक्सों में नहीं बेच पाते हैं। किसान बिचौलियों के हाथों धान बेचने को मजबूर हो जाते हैं। उसमें भी उन्हें नगद भुगतान मिल जाता है, जिससे अन्य फसलों को लगाने में काफी सहूलियत होती है।

मनोज रजक, किसान, धरायडीह। किसानों को धान का भंडारण करने में काफी परेशानी होती है, जिसके कारण किसान बिचौलियों के हाथों ही अपना धान बेचने को मजबूर हो जाते हैं। सरकार के अनुसार किसानों के धान सूखने पर ही खरीदे जाएं तो सरकार को धान भंडारण केंद्र की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि किसान अपना धान उस केंद्र में रख सकें और सूखने के बाद अपना धान बेच सकें।

मुन्नालाल यादव, किसान, बाघमारा। किसानों को अपने उपजाए गए धान को बिचौलियों के हाथों में बेचने में ही फायदा होता है क्योंकि जब तक सरकार के नियमों का अनुपालन किसान करेंगे तब तक किसानों के धान बर्बाद भी हो जाएंगे और उन्हें उनका कीमत नहीं मिल पाएगा। इससे बेहतर है किसान अपना धान बिचौलियों को बेच देते हैं।

जाकिर हुसैन, किसान, पिपराडीह।

chat bot
आपका साथी