नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू, खरना आज

संवाद सहयोगी झुमरीतिलैया (कोडरमा) चैती छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 08:59 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 08:59 PM (IST)
नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू, खरना आज
नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू, खरना आज

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): चैती छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। छठ पूजा का पावन पर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाएगा। महिलाएं छठ के दौरान लगभग 36 घंटे का व्रत रखती हैं। चैती छठ 16 अप्रैल से 19 अप्रैल तक चलेगा। लोक आस्था का महापर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र माह में और कार्तिक माह में मनाया जाता है। इसमें उगते व डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। छठ का व्रत काफी कठिन व नियम के साथ किया जाता है। इस पर्व में सूर्य भगवान की विशेष उपासना की जाती है। बाबूलाल पंडित अनुसार चैती छठ श्रद्धा भक्ति के साथ करना अत्यंत लाभकारी है। इस पर्व में मुख्यत: सूर्य देव को अ‌र्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। पहला दिन- नहाय-खाय 16 अप्रैल को नहाय- खाय किया गया। नहाय खाय के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चने की सब्जी, चावल, साग, कद्दू खाया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है। दूसरा दिन- लोहंडा व खरना लोहंडा व खरना छठ पूजा का दूसरा दिन 17 अप्रैल शनिवार को खरना किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को आम की लकड़ी जलाकर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है। तीसरा दिन- छठ पूजा संध्या अ‌र्घ्य 18 अप्रैल रविवार को छठ पूजा का मुख्य दिन और चैत्री छठ के तीसरा दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अ‌र्घ्य देती हैं। चौथा दिन- उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य 19 अप्रैल सोमवार को इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतरकर सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते हुए सूर्य देव को अ‌र्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारणा किया जाता है।

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