बाईपास की योजना अधूरी, जाम से नहीं मिली निजात
जयनगर में कोई जाम की समस्या एक दिन का नहीं बल्कि रोज की समस्या है। यहां के लोगों को जाम से निजात नहीं मिल पाया। जिस अनुपात से जयनगर का विकास हुआ उस अनुपात से यहां के लोगों को सड़के नहीं मिली। सड़क संकीर्ण होने के कारण लोग अपने दुकानों का सामान भी सड़क के किनारे रख देते हैं जिसके कारण रोज जाम की स्थिति पैदा हो जाती है।
रणजीत कुमार भारती, जयनगर (कोडरमा): जयनगर में कोई जाम की समस्या एक दिन का नहीं, बल्कि रोज की समस्या बन गई है। यहां के लोगों को जाम से निजात नहीं मिल पाया। जिस अनुपात से जयनगर का विकास हुआ उस अनुपात से यहां सड़कों की हालत में नहीं सुधार हुआ। अतिक्रमण के कारण कोडरमा-कोवार मुख्य सड़क पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। वहीं भारतीय स्टेट बैंक समेत कई व्यवसायिक भवनों के समीप पार्किंग नहीं होने के कारण भी ग्राहक सड़क पर ही अपने वाहनों को खड़ा कर देते हैं, जिससे लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है। हालांकि पांच साल पूर्व जयनगर में बाईपास बनने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, परंतु बात आगे तक नहीं बढ़ पायी। जयनगर के पेठियाबागी से लेकर लोहाडंडा होते हुए जयनगर थाना के आगे बाईपास बनाने की योजना थी। इसके लिए वर्ष 2014-15 में सर्वे भी किया गया था और किसानों की जमीन के लिए लगभग 54 करोड़ रुपए की राशि देने के लिए आधियाची विभाग को मांग की गई थी। परंतु अधियाची विभाग द्वारा मात्र 14 करोड़ रुपया ही भू अर्जन विभाग द्वारा दिया गया। जिसके कारण बाईपास निर्माण का कार्य अधूरा रह गया। वहीं कार्य शुरू नहीं होने के कारण यह राशि लैप्स कर गई। अब दोबारा वर्ष 2016 -17 में पुन: अधियाची विभाग (एनएचएआई) को लगभग 54 करोड़ रुपए का डिमांड किया गया था, परंतु अभी तक वह राशि नहीं हस्तांतरित की गई है। हालांकि बाईपास बनाने की सभी प्रक्रियाएं लगभग पूरी कर ली गई है, परंतु मुआवजे की राशि नहीं आने के कारण रैयतों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सकता है और बाईपास का निर्माण की प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। इस मामले में स्थानीय विधायक और सांसद भी कभी सुधि नहीं ली। हालांकि जब भी कभी स्थानीय विधायक और सांसद जयनगर की सड़कों पर गुजरते हैं तो निश्चित ही उन्हें जाम की स्थिति का सामना करना पड़ता होगा। अगर जयनगर में बाईपास का निर्माण हो जाता तो रोज रोज के जाम की स्थिति से लोगों को निजात मिलता। साथ ही जयनगर का विकास होता। वहीं बाईपास के बनने से कई लोगों को रोजगार भी मिलता।
सरवर खान, समाजसेवी, जयनगर। जयनगर की मूलभूत समस्याओं पर यहां के जनप्रतिनिधि कभी भी ध्यान नहीं दिया। चाहे पानी की समस्या हो, या सड़क की समस्या या स्वास्थ्य की समस्या। लोग नेताओं के आश्वासन सुनकर ही पांच साल बिता देते हैं परंतु उन्हें कोई फायदा नहीं मिलता है। जयनगर में जाम की स्थिति काफी गंभीर है बाईपास बनने से जयनगर में जाम की स्थिति से निश्चित ही निजात मिलता।
जयप्रकाश यादव, इरगोबाद। जयनगर में जाम के कारण कई बार बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं परंतु यहां के जनप्रतिनिधि इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया। अगर बाईपास का निर्माण शीघ्र हो जाता तो निश्चित तौर पर यहां के लोगों को जाम से निजात मिल जाता साथ ही जयनगर का विकास भी और होता। यहां के लोगों ने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि को इस बारे में अवगत कराया है परंतु नेताओं ने इस पर गंभीरता से कभी नहीं लिया और बाईपास बनने की प्रक्रिया फीकी पड़ गई।
शहजाद आलम, मुखिया, कटहाडीह पंचायत। जिस अनुपात में जयनगर का विस्तार हुआ उस अनुपात में जयनगर की सड़कें विस्तारित नहीं की गई। यहां रोज-रोज की स्थिति जाम जैसी हो जाती है परंतु इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। 10 साल पूर्व यहां बाईपास बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी परंतु वह भी अधर में लटक गया। हालांकि प्रशासनिक प्रक्रियाएं काफी तीव्र गति से हुई। परंतु यहां के नेता इस पर कभी भी पहल नहीं किया जिससे शीघ्र बाईपास बन सके।
हिद किशोर राम, मुखिया कटिया पंचायत।