ओलिंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम की हार से निराश हैं खूंटीवासी

जिले के मुरहू प्रखंड के छोटे से गांव हेसल से निकलकर महिला हाकी के अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाने वाली निक्की प्रधान की टीम शनिवार को पहले मैच में अपना जलवा नहीं बिखेर सकी। इससे खूंटीवासी निराश हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:57 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:57 PM (IST)
ओलिंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम की हार से निराश हैं खूंटीवासी
ओलिंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम की हार से निराश हैं खूंटीवासी

जागरण संवाददाता, खूंटी : जिले के मुरहू प्रखंड के छोटे से गांव हेसल से निकलकर महिला हाकी के अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाने वाली निक्की प्रधान की टीम शनिवार को पहले मैच में अपना जलवा नहीं बिखेर सकी। इससे खूंटीवासी निराश हैं। नीदरलैंड के साथ हुए मैच में भारत की टीम को हार का सामना करना पड़ा। शनिवार की शाम निक्की के पैतृक गांव मुरहू प्रखंड के हेसल में निक्की के पिता व गांव के लोग टीवी पर मैच का सीधा प्रसारण देख रहे थे। हाकी टीम के पहले मैच में पराजित होने के बाद सभी मायूस हो गए। निक्की के पिता समेत अन्य लोगों को टीम के विजयी होने की उम्मीद थी। सुबह से ही निक्की के गांव में पहले मैच को लेकर उत्साह का माहौल था। लोग दिन में ही सारे जरूरी काम निपटा लिए थे, ताकि शाम को मैच देख सके। माता जीतनी देवी व पिता सोमा प्रधान सुबह से ही अपने आराध्यदेव से निक्की के विजयी होने की कामना कर रहे थे। सुबह दोनों ने पूजा-अर्चना कर बेटी की टीम के लिए विजयी होने की मन्नत मांगी। दोनों ने निक्की के विजयी होकर घर लौटने की कामना की। दिन में अपने जरूरी काम निपटाने के बाद सभी मैच देखने बैठे, लेकिन देश की टीम मैच में विजयी नहीं हो सकी। मुरहू प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव हेसल में निक्की प्रधान के माता-पिता सुबह से ही अपनी बेटी का खेल देखने के लिए उत्साहित थे। मां जीतनी देवी जल्दी ही घर के सारे कार्यों को निपटाकर खत्म करना चाह रही थी। गांव में कृषि कार्य चरम पर है। निक्की की मां घर के काम निपटाकर खेत में चल रही धान रोपनी देखने गई। पिता भी सारे कार्यों को निपटाकर शाम तक खत्म किए बीच-बीच में वे टीवी पर ओलिंपिक में चल रहे खेलों का सीधा प्रसारण देख रहे थे। सोमा प्रधान ने बताया कि बेटी जीत कर आएगी इसका उन्हें पूरा भरोसा है। हर वक्त हाकी के इर्द-गिर्द ही रहने वाली निक्की को दूसरे किसी काम में मन नहीं लगता है। अपने खेल की बदौलत निक्की ने अपने छोटे से गांव को भी नई पहचान दी है।

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निक्की की बहन शशि व कांति भी हैं हाकी की नेशनल खिलाड़ी

निक्की का यह दूसरा ओलिंपिक है। इससे पूर्व वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक में भी निक्की प्रधान ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर झारखंड में पहली महिला हाकी ओलंपियन बनने का कीर्तिमान स्थापित किया था। अब लगातार दूसरी बार ओलिंपिक में खेल कर निक्की अनोखा कीर्तिमान स्थापित कर रही है। हेसल गांव निवासी साधारण परिवार में जन्मी सोमा प्रधान तथा जीतनी देवी की पुत्री निक्की प्रधान पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है। उसकी बड़ी बहन शशि प्रधान, दो छोटी बहन कांति व सरीना प्रधान और सबसे छोटा भाई गोविद प्रधान भी हाकी खिलाड़ी हैं। बड़ी बहन शशि व छोटी कांति प्रधान भी हाकी की राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं और वर्तमान में शशि रांची और कांति धनबाद में रेलवे में पदस्थापित है। पहली से सातवीं कक्षा तक पांचों भाई बहने राजकीय मध्य विद्यालय पेलोल में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान खेल शिक्षक दशरथ महतो से हाकी के प्रारंभिक गुर सीखे। उनकी प्रतिभा को भांपकर शिक्षक दशरथ महतो ने सातवीं के बाद सभी बहनों को बरियातू स्थित हाकी सेंटर में भर्ती कराया। वर्ष 2011 में रांची में आयोजित नेशनल गेम्स में झारखंड टीम की ओर से खेलते हुए निक्की प्रधान ने बेस्ट प्लेयर का खिताब हासिल किया। यही टूर्नामेंट उसके भविष्य के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। टीम में हाफ लाइन की ओर से खेलते हुए निक्की प्रधान ने अभेद्य किला के रूप में अपना खेल का प्रदर्शन कर राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके बाद उसका चयन राष्ट्रीय टीम में हुआ और वर्ष 2012 में बैंकाक में हुए एशिया कप में देश की ओर से खेलते हुए देश को कांस्य पदक दिलाया। इसके बाद लगातार सफलता का परचम लहराते हुए ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड अमेरिका सहित कई अन्य कई देशों में राष्ट्रीय टीम की ओर से टेस्ट सीरीज में हिस्सा लिया। इसी दौरान वर्ष 2016 में रियो ओलिंनिक में खेलकर झारखंड में पहली पहला महिला हाकी ओलंपियन बनने का गौरव हासिल किया।

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