गांव में खेलने का मैदान नहीं, फिर भी बेटी बनी ओलिंपियन

खूंटी की भूमि हाकी के लिए हमेशा से उर्वरा रही है। सबसे पहले वर्ष 1928 में ओलिंपिक में स्वर्ण दिलाकर मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने खूंटी का नाम रोशन किया था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:17 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:17 PM (IST)
गांव में खेलने का मैदान नहीं, फिर भी बेटी बनी ओलिंपियन
गांव में खेलने का मैदान नहीं, फिर भी बेटी बनी ओलिंपियन

खूंटी : खूंटी की भूमि हाकी के लिए हमेशा से उर्वरा रही है। सबसे पहले वर्ष 1928 में ओलिंपिक में स्वर्ण दिलाकर मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने खूंटी का नाम रोशन किया था। जिले के सुदूरवर्ती टकरा गांव निवासी जयपाल सिंह ने जिले में हाकी की बुनियाद मजबूती के साथ रखा था। इसके बाद गोपाल भेंगरा भी ओलिंपिक खेलकर जिले का नाम देश व दुनिया में रोशन किया था। लेकिन निक्की प्रधान इकलौती लड़की हैं, जिन्होंने दो बार ओलिंपिक खेलने का कीर्तिमान स्थापित किया है। जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश की वह पहली लड़की है, जो ओलिंपिक खेल रही है। निक्की एक ऐसे गांव से आती है, जहां खेलने के लिए मैदान भी नहीं है। बुलंद हौसला और कड़ी मेहनत के बदौलत निक्की आज इस मुकाम तक पहुंची है। निक्की के इस मुकाम तक पहुंचने में सबसे अधिक सार्थक भूमिका निभाई है उनके प्रारंभिक कोच व शिक्षक दशरथ महतो ने। दशरथ महतो के सिखाए गुर के कारण ही निक्की का चयन जूनियर साई सेंटर, बरियातु, रांची में हुआ था। यहां निक्की ने सपनों की उड़ान भरना शुरू किया। दशरथ महतो ने निक्की ही नहीं, बल्कि उनकी दो बहनों को भी राष्ट्रीय स्तर का हाकी खिलाड़ी बनाने में सार्थक योगदान दिया है।

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बगैर मैदान के 13 खिलाड़ियों ने बनाई पहचान

खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड अंतर्गत आने वाले छोटा सा गांव हेसल हाकी के लिए काफी उर्वरा है। गांव में खेलने के लिए एक अदद मैदान तक नहीं है और गांव की 13 लड़कियां हाकी खेल के माध्यम से देश व दुनिया में अपनी अगल पहचान बनाई है। छोटे से गांव के 13 लड़कियों ने हाकी की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेलकर अपनी अगल पहचान बनाई है। फिलहाल इनमें से 12 लड़कियां अलग-अलग क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं। हेसल की निक्की प्रधान ओलिंपिक खेलने वाली पहली लड़की है, इसके अलावा पुष्पा प्रधान अंतरराष्ट्रीय और शशि प्रधान, गांगी मुंडू, रश्मि मुडू, शीलवंती मिजूर, एतवारी मुंडू, बिरसी मुंडू, रुक्मनी डोडराय, मुक्ता मुंडू, आशा कुमारी, कांति प्रधान व रेशमा मिज राष्ट्रीय स्तर की हाकी खिलाड़ी हैं। इसके अलावा गांव में राज्य स्तर व उसके नीचे स्तर के कई खिलाड़ी है। इनमें शशि प्रधान, कांति प्रधान व निक्की प्रधान तीनों सगी बहने हैं और पुष्पा प्रधान चचेरी बहन है। इन खिलाड़ियों में सभी सरकार के अलग-अलग विभागों में नौकरी कर रही हैं।

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खूंटी जिले में नहीं है लड़कियों के आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था

भले ही खूंटी जिला हाकी के लिए उर्वरा रही है, लेकिन सरकार की ओर से जिले के प्रतिभा को निखारने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया गया है। मारांग गोमके के जिले में महिला हाकी खिलाड़ियों के लिए आवासीय प्रशिक्षण की भी सुविधा नहीं है। यहां सिर्फ लड़कों के लिए आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। महिला हाकी के लिए जिले में डे-बोर्डिग की सुविधा है। जहां लड़कों का टीम भी प्रशिक्षण लेती है। आवासीय प्रशिक्षण की सुविधा नहीं रहने के कारण जिले के ग्रामांचलों के प्रतिभावान खिलाड़ियों को अपने हुनर को निखारने का मौका नहीं मिल रहा है।

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मैदान की भी किल्लत

जिला मुख्यालय स्थित एसएस प्लस टू स्कूल के मैदान में ही हाकी खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं। यहां सबसे बड़ी मुसीबत तब खड़ी हो जाती है जब आवासीय प्रशिक्षण ले रहे लड़कों की टीम, डे बोर्डिग के लड़कों व लड़कियों के टीम को प्रशिक्षण के दौरान खेलना पड़ता है। एक ही मैदान में तीन टीमों का खेलना संभव ही नहीं रहता है। ऐसे में किसी भी टीम को समुचित रूप से खुलकर खेलने नहीं मिलता है।

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टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम इस बार मेडल लेकर ही लौटेगी। खेल के दौरान सभी को बुलंद हौसलों के साथ मैदान में उतरना होगा। शुरुआत अच्छा तो समापन भी अच्छा ही होता है। टीम को शुरू में चौकन्ना होकर खेलने की आवश्यकता है। पहले गोल खाने से मनोबल टूट जाता है। उम्मीद है निक्की अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी।

- अनिमा सोरेंग, पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी

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भारतीय महिला हाकी टीम इस बार ओलिंपिक से गोल्ड लेकर आएगी ऐसा विश्वास है। टीम के सभी सदस्य काफी ऊर्जावान हैं, सभी अपना सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे ही जुनून से मैच जीता जा सकता है। टीम गोल्ड लेकर देश का नाम पूरी दुनिया में रौशन करे इसके लिए ईश्वर से कामना करती हूं। सरकार ग्रामीण क्षेत्र में खिलाड़ियों को सुविधा मुहैया कराए।

- बिरसी मुंडू, पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी

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ओलिंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम के पहली बार सेमीफाइनल में प्रवेश किया है। टीम अपना बेहतर प्रदर्शन करते हुए फाइनल में भी विजयी होगी। टीम में शामिल खूंटी की बेटी निक्की प्रधान शानदार खेल का प्रदर्शन कर रही है। निक्की पर जिला ही नहीं बल्कि पूरे देश को नाज है। उन्होंने मारांग गोमके जयपाल सिंह के नाम को आगे बढ़ाया है।

- पद्मभूषण कड़िया मुंडा, लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष

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भारतीय महिला टीम के ओलिंपिक में क्वार्टर फाइनल मैच शानदार तरीके से जीतकर सेमीफाइनल में पहुंचा है। अब टीम ऐसे ही शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल भी जीतेगी। भारतीय महिला टीम चैंपियन बनकर स्वदेश लौटेगी, ऐसा विश्वास है। टीम में शामिल खूंटी की निक्की प्रधान अपने प्रतिद्वंदी टीम के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएगी।

- नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक, खूंटी

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निक्की प्रधान ओलिंपिक में गोल्ड हासिल करने वाली टीम का बेहतरीन सदस्य बनकर गुरु दक्षिणा देगी, ऐसा विश्वास है। निक्की की टीम फाइनल जीतकर ही स्वदेश लौटेगी। टीम के सभी खिलाड़ियों की नजर गोल्ड पर है। भारतीय महिला हॉकी टीम ओलिंपिक में नया इतिहास रचेगी। खूंटी जिलावासियों का प्रार्थना निक्की के लिए वरदान बनेगा।

- दशरथ महतो, निक्की का प्रारंभिक कोच

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