कहीं वेंटिलेटर के लिए जा रही जान, कहीं बनी शोभा की वस्तु

दूसरे दौर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अस्पतालों में बेड की समस्या भी बढ़ती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 10:50 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:50 PM (IST)
कहीं वेंटिलेटर के लिए जा रही जान, कहीं बनी शोभा की वस्तु
कहीं वेंटिलेटर के लिए जा रही जान, कहीं बनी शोभा की वस्तु

खूंटी : दूसरे दौर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अस्पतालों में बेड की समस्या भी बढ़ती जा रही है। सरकारी व्यवस्था के तहत जो बेड अस्पताल में हैं, उनमें कुछ आइवॉश के लिए भी है। खूंटी सदर अस्पताल में कोरोना संक्रमितों के लिए दस बेड में वेंटिलेटर की भी व्यवस्था है। लेकिन अस्पताल का एक भी वेंटिलेटर का उपयोग कोरोना काल के दौरान अबतक नहीं किया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण सदर अस्पताल में वेंटिलेटर चलाने के लिए एक भी एनेस्थेटिस्ट व दक्ष तकनीशियनों का नहीं होना है। कोरोना महामारी के दौर में वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण लोगों की जान जा रही है, तो कहीं उपयोग के बगैर वेंटिलेटर शोभा की वस्तु बना हुआ है। ऐसे में क्यों नहीं सफेद हाथी बने वेंटिलेटरों को विभाग व प्रशासन वैसे स्थानों में भेज रही है जहां इलाज के लिए मरीजों को इसकी बेहद जरूरत है। कोरोना महामारी के पहले दौर में खूंटी जिले से दस वेंटिलेटर रांची भेजा गया था। इसके बाद दस वेंटिलेटर खूंटी के सदर अस्पताल में ही रह गया है। फिलहाल, अस्पताल के दस वेंटिलेटर भी उपयोग के बगैर बेकार पड़े हुए हैं। इसे चलाने के लिए अस्पताल में एक भी एनेस्थेटिस्ट नहीं है। ऐसे में वेंटिलेटर की उपयोगिता पर सवाल खड़ा हो रहा है। जब वेंटिलेटर चलाने के लिए एनेस्थेटिस्ट ही नहीं है तो इसे चलाएगा कौन। कोरोना महामारी के पहले दौर में भी सदर अस्पताल के एक भी वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं हुआ था। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना महामारी को देखते हुए अस्पताल के एक चिकित्सक को वेंटिलेटर चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया था। बावजूद इसके मरीजों के इलाज के दौरान वेंटिलेटर का उपयोग नहीं किया जा सका है।

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चार मरीज किए जा चुके रेफर

जिले से अबतक चार कोरोना संक्रमितों को रांची रेफर किया जा चुका है। इसके अलावा कई लोग खुद ही रांची में अपना इलाज करा रहे हैं। गंभीर स्थिति वाले कोरोना संक्रमितों के इलाज की सुविधा खूंटी में नहीं है। किसी संक्रमित का अगर ऑक्सीजन लेवल 80 से नीचे पहुंच जाता है तो खूंटी में उसका इलाज नहीं किया जा सकता है। जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके अनुसार प्रशासनिक तैयारी बेहतर नहीं है। अबतक एरेंडा स्थित पॉलिटेक्निक कालेज में बनाए गए दो सौ बेड वाला कोरोना अस्पताल को शुरू नहीं किया जा सका है। मातृ शिशु अस्पताल में बनाए गए कोविड अस्पताल के सोर बेड मरीजों से भर गए है।

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कोट :-

सदर अस्पताल में दस वेंटिलेटर बेड है। अस्पताल में एक भी एनेस्थेटिस्ट पदस्थापित नहीं है। वेंटिलेटर के उपयोग के लिए अस्पताल के एक चिकित्सक को प्रशिक्षण दिया गया है। अबतक वेंटिलेटर के इस्तेमाल करने की नौबत नहीं आया है। वेंटिलेटर का इस्तेमाल सांस संबंधित बीमारी के इलाज में किया जाता है। जरूरत पड़ने पर वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाएगा।

डॉ. प्रभात कुमार, सिविल सर्जन, खूंटी

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