महुआ से भी आ सकती है खुशहाली, जरूरत है विस्तृत कार्ययोजना की

यूं तो महुआ को मुख्यत शराब के लिए जाना जाता है लेकिन महुआ अपने अंदर गुणों का समंदर समेटे हुए है। महुआ का उपयोग विभिन्न बीमारियों में किया जाता है। जानकारों का कहना है कि महुआ इतना अधिक पौष्टिक होता है कि यदि कुपोषित बच्चे को प्रतिदिन महुआ के दो फूल खिलाए जाएं तो कुछ ही दिनों में बच्चा हृष्ट पुष्ट हो जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 06:44 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 06:44 PM (IST)
महुआ से भी आ सकती है खुशहाली, जरूरत है विस्तृत कार्ययोजना की
महुआ से भी आ सकती है खुशहाली, जरूरत है विस्तृत कार्ययोजना की

खूंटी : यूं तो महुआ को मुख्यत: शराब के लिए जाना जाता है लेकिन महुआ अपने अंदर गुणों का समंदर समेटे हुए है। महुआ का उपयोग विभिन्न बीमारियों में किया जाता है। जानकारों का कहना है कि महुआ इतना अधिक पौष्टिक होता है कि यदि कुपोषित बच्चे को प्रतिदिन महुआ के दो फूल खिलाए जाएं तो कुछ ही दिनों में बच्चा हृष्ट पुष्ट हो जाता है। अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग महुआ के लड्डू बनाकर उसे खाते हैं, उनका मानना है कि यह शरीर को भरपूर ताकत प्रदान करता है। जानकारों का कहना है कि महुआ के पोषक तत्व का शोध कर विभिन्न खाद्य उत्पाद बनाए जा सकते हैं। साथ ही इसे रिफाइन कर उन्नत किस्म की शराब भी बनायी जा सकती है जो कि विदेशी शराब को टक्कर दे सकती है।

कोरोना संक्रमण के इस काल में रोजगार सृजन के लिए विस्तृत कार्ययोजना बना रही सरकार यदि महुआ पर भी ध्यान दे तो स्वत: ही रोजगार के द्वार खुल जाएंगे।

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महुआ व इमली आदि वनोपज हमेशा से ही इस क्षेत्र के आर्थिक उन्नयन के स्त्रोत रहे हैं। एक बड़ी आबादी अभी भी वनोपज पर आश्रित है। अगर सरकार विस्तृत कार्ययोजना बनाकर कार्य करे तो निश्चय ही वनोपज से रोजगार के और अवसर पैदा होंगे। लेकिन, इसके लिए सबसे पहले आधारभूत संरचना विकसित करनी होगी। अभी भी जिले में एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है और न ही प्रोसेसिग प्लांट हैं। महुआ का उपयोग भले ही आज अधिकतर शराब बनाने में होने लगा है लेकिन दो-तीन दशक पूर्व लोग इसका उपयोग विभिन्न तरीके से खाद्य पदार्थ में करते थे। यह शरीर को ताकत प्रदान करता है। साथ ही यह कई बीमारियों को दूर करने में सहायक भी होता है। इस पर शोध कर यदि महुआ का उपयोग शराब के अतिरिक्त डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में किया जाए तो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया हो सकता है। महुआ के फूल के साथ-साथ इसका बीज भी उपयोगी है। बीज से उन्नत किस्म का रिफाइन व डालडा आदि बनाए जाते हैं। जिले में महुआ के अनुपात में ही बीज का उत्पादन लगभग 15-20 हजार टन होता है। अधिकतर महुआ के बीजों की खपत छत्तीसगढ़ के रायपुर में होती है। यदि अपने यहां ही प्रोसेसिग प्लांट लगाकर महुआ के बीज का उपयोग किया जाए तो इससे भी आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।

-लक्ष्मण मिश्रा, विशेषज्ञ, खूंटी

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महुआ के फूल व इमली मार्केट में मार्च से मई माह तक आते हैं। इसके बाद मानसून शुरू हो जाता है। ऐसे में नमी से खराब होने वाले ये दोनों वनोपज का सुरक्षित भंडारण करना आवश्यक होता है लेकिन जिले में एक भी कोल्ड स्टोरेज न होने के कारण महुआ व इमली आदि वनोपज से जुड़े लोगों को परेशानी होती है। यदि सरकार इन वनोपज से रोजगार को बढ़ावा देने का प्रयास करे तो सर्वप्रथम जिले में कोल्ड स्टोरेज बनाना होगा। साथ ही छोटे-छोटे प्रोसेसिग प्लांट भी खोलने होंगे। आज के दौर में लोग महुआ का उपयोग मात्र शराब बनाने के लिए किया जाना समझते हैं, लेकिन महुआ का उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों में भी किया जा सकता है। आदि काल से लोग इसका उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में करते रहे हैं। यदि विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाए और शोध किया जाए तो महुआ का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है। महुआ का बीज भी बहुत उपयोगी है। मुख्यत: जून-जुलाई माह में बाजार में आने वाले महुआ के बीज से उन्नत किस्म का रिफाइन बनाया जा रहा है। साथ ही औषधीय तेल भी बनाया जाता है, जिसे लोग डोरी तेल के नाम से जानते हैं। अत: इससे संबंधित प्लांट लगाकर बड़ी आबादी को रोजगार से जोड़ा जा सकता है।

-मदन गुप्ता, विशेषज्ञ, खूंटी

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अगर अपने यहां काम मिलता तो मैं घर-परिवार को छोड़कर बाहर काम करने क्यों जाता। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि लोगों को अपने जिले में ही काम मिल जाए। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए मैं मजबूरी में काम करने दिल्ली गयी थी। लॉकडाउन के दौरान वहां काम समाप्त हो गया और मुझे वापस अपने घर लौटना पड़ा।

-मोहन स्वांसी, सेंसेरा, तोरपा

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मैं बड़ी उम्मीदें लेकर घर से इतनी दूर काम करने गया था लेकिन वहां जाने के बाद अहसास हुआ कि सबसे बढि़या हमारा अपना प्रदेश है। यदि हमें झारखंड में ही रोजगार मिले तो हम कभी भी दूसरे राज्य का रुख नहीं करेंगे। लॉकडाउन के दौरान वहां जो परेशानी हुई उसे याद भी नहीं करना चाहता हूं।

-कुलदीप गुड़िया, रोन्हे बरटोली, तोरपा

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लोग कहते थे कि जब तक घर से बाहर कदम नहीं रखोगे तब तक तरक्की नहीं कर सकोगे। यही सोचकर मैं रोजगार की तलाश में बाहर गया था। वहां काम भी मिला लेकिन लॉकडाउन होने से काम बंद हो गया। इसके बाद वहां काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आज जब मैं वापस अपने घर आ गया हूं तो एक ही बात सोचता हूं कि दोबारा बाहर काम करने न जाना पड़े। यदि सरकार हमें यहीं रोजगार उपलब्ध करा दे तो बड़ी मेहरबानी होगी।

-अमर कंडुलना, रोन्हे, तोरपा

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कोई नहीं चाहता है कि घर-परिवार छोड़कर हजारों मील दूर अकेले रहें। लेकिन मजबूरी ऐसी थी कि मुझे रोजगार की तलाश में घर छोड़ना पड़ा। अब मैं दोबारा परदेश नहीं जाना चाहता हूं। सरकार यदि यहां ऋण की व्यवस्था कर दे तो कोई छोटा-मोटा काम कर यहीं परिवार वालों के साथ रहूंगा।

-बुधवा बारला, कुबाटोली हुसिर, तोरपा

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