सपना बनकर रह जाते हैं चुनावी वादे

विधान सभा चुनाव के दौरान मतदाताओें का मूड मिजाज जानने के लिए चुनाव से एक दिन पूर्व दैनिक जागरण की टीम शुक्रवार को शहर के हरिजन बस्ती बड़ाईकटोली पहुंची। जैसे ही बस्ती में प्रवेश किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 09:24 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:19 AM (IST)
सपना बनकर रह जाते हैं चुनावी वादे
सपना बनकर रह जाते हैं चुनावी वादे

खूंटी : विधान सभा चुनाव के दौरान मतदाताओें का मूड मिजाज जानने के लिए चुनाव से एक दिन पूर्व दैनिक जागरण की टीम शुक्रवार को शहर के हरिजन बस्ती बड़ाईकटोली पहुंची। जैसे ही बस्ती में प्रवेश किया तो सड़क किनारे चापाकल से कुछ महिलाएं पानी भर रही थीं। वहीं पास में बस्ती के युवक धूप का आनंद ले रहे थे। पास में ही बसपा का चुनाव वाहन खड़ा था। वहां रुककर जब हमने युवकों से बात करना चाहा तभी बसपा प्रत्याशी सोमा कैथा वहां आ गए और थोड़ी देर चुनावी चर्चा कर जनसंपर्क अभियान में निकल गए। इसके बाद बस्ती के युवकों से हमने चुनाव को ले उनका मूड जानने का प्रयास किया।

युवकों ने जब जाना कि हम लोग राजनीतिक दल के नहीं हैं बल्कि अखबार वाले हैं, तो वे खुलकर बस्ती की समस्याओं को गिनाने लगे।

रोहित नायक और सुनील नायक ने पास में ही अधूरे पड़े बजरंग बली के मंदिर को दिखाते हुए कहा कि यह मंदिर 20 वर्षाें से अधूरा पड़ा है। प्रत्येक चुनाव में प्रमुख दलों के प्रत्याशी वोट मांगने आते हैं तो उनसे मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कराने की बात कही जाती है। उनसे आश्वासन तो मिलता है लेकिन चुनाव के बाद वे अपने वादे से मुकर जाते हैं। हमें झूठा आश्वासन देने वाला नेता नहीं चाहिए। लक्ष्मण नायक, सतीश नायक व मुकेश नायक का कहना था कि पिछले एक साल से बिजली का बिल अनाप-शनाप आ रहा है। पहले 100 से 130 रुपये तक बिल आता था लेकिन करीब साल भर से बिल पांच-छह सौ रुपये तक आने लगा है। हम लोग रोज कमाने खाने वाले हैं। इतना अधिक बिजली का बिल नहीं दे सकते हैं। हमारी इस समस्या को जो सुनेगा हम तो उसे ही वोट देंगे। सुरेश नायक, विश्वनाथ नायक व बादल नायक ने बताया कि इस बस्ती में करीब छह सौ मकान हैं। बस्ती में सालों से पेयजल की समस्या है लेकिन किसी ने अब तक इस बारे में कुछ नहीं किया। तजना जलापूर्ति का पाइप तो बस्ती में आया है लेकिन उससे पानी मिलता नहीं है। एकमात्र चापाकल के सहारे पूरी बस्ती के लोग हैं। ऐसे में आधा किमी दूर महादेव मंडा से पानी लाना पड़ता है। यदि एक सोलर आधारित पानी टंकी बस्ती में हो जाए तो पेयजल का संकट कुछ दूर हो सकता है। लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। हम तो उसे ही वोट देंगे जो बस्ती की समस्याएं दूर कराएगा। टिकू नायक, सूरज नायक व अरविद नायक ने बताया कि बस्ती के अधिकांश लोग मोटिया मजदूरी और रिक्शा चलाने का काम करते हैं। वहीं अधिकतर महिलाएं घरों में काम करती हैं। ऐसे में बस्ती के समीप ही कहीं सरकारी स्कूल की व्यवस्था हो जाए तो हम अपने बच्चों को वहां पढ़ा सकते हैं। पहले बस्ती के बच्चे हरिजन स्कूल में जाते थे लेकिन उसे थाना के सामने मॉडल स्कूल में मर्ज कर दिया गया है। उस स्कूल तक जाने के लिए बच्चों को मेन रोड पार कर जाना पड़ता है। मेन रोड में भारी वाहनों के आवागमन के कारण हमें बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है। शुरू में कहा गया था कि बच्चों को बस से ले जाया जाएगा लेकिन बस मात्र एक ही दिन आयी।

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