बस स्टैंड के अभाव में सड़क पर लगता है जाम
वर्ष 2007 में खूंटी को जिला बनाया गया था लेकिन जिले को मिलने वाली सुविधाएं अभी तक पूरी तरह से धरातल पर नजर नहीं आ रही हैं। यह एक त्रासदी ही है कि 12 वर्ष बाद भी शहरवासि
खूंटी : वर्ष 2007 में खूंटी को जिला बनाया गया था लेकिन जिले को मिलने वाली सुविधाएं अभी तक पूरी तरह से धरातल पर नजर नहीं आ रही हैं। यह एक त्रासदी ही है कि 12 वर्ष बाद भी शहरवासियों को बस स्टैंड की सुविधा नहीं मिल सकी है। बस चालक बीच सड़क पर ही सवारियों को उतारते व चढ़ाते हैं। इसका दुष्परिणाम यह है कि लोगों को प्रतिदिन मेन रोड पर सड़क जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। आएदिन दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं।
उल्लेखनीय है कि बैंक व एलआइसी समेत लगभग सभी सरकारी कार्यालय एवं स्कूल, कॉलेज मेन रोड पर स्थित हैं। रांची से चाईबासा, सिमडेगा व गुमला जाने वाली बसें इसी मेन रोड से गुजरती हैं। वहीं हाईवे होने के कारण राउरकेला व जमशेदपुर से भारी वाहनों का आवागमन भी होता रहता है। इसके चलते इस सड़क पर भारी दबाव है और रोजाना जाम लगता है। वहीं बस स्टैंड न होने के चलते मेन रोड पर थाने के सामने व भगत सिंह चौक पर पेट्रोल पंप के सामने सड़क पर ही यात्री बसें खड़ी होती हैं। यहां तक कि कभी-कभी बीच सड़क पर ही बस चालक यात्रियों को उतारने व चढ़ाने लगते हैं जिसके चलते सड़क पर जाम लग जाता है।
----------
बस स्टैंड का न होना बहुत दुखद है। स्टैंड न होने के चलते बसें सड़क पर खड़ी होती हैं। इसके चलते सड़क संकरी हो जाती है। इससे आम आदमियों को तो परेशानी होती ही है, साथ ही हमारे विद्यालय के बच्चों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
-संतोष भगत
-------------
जिला प्रशासन को जल्द से जल्द बस स्टैंड की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि मेन रोड का बोझ कुछ कम हो सके। इससे जहां एक ओर जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी वहीं दुर्घटनाएं भी नहीं होंगी।
-राहुल कुमार कर
------------------------
सरकार की ओर से बराबर यही कहा जाता है कि राज्य में तेजी से विकास हो रहा है। जिला प्रशासन भी यह दावा करता है कि जिले में विकास कार्य द्रुतगति से हो रहे हैं। लेकिन, क्या इसी को विकास कहते हैं कि जिला बनने के 12 वर्ष बाद भी शहरवासियों को एक अदद बस स्टैंड नहीं मिल सका है।
-शुभम जायसवाल
--------------------
बस स्टैंड न होने के कारण हमें लगभग रोज ही सड़क लगने वाले जाम को झेलना पड़ता है। कभी-कभी छोटी-मोटी दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं लेकिन लगता है कि प्रशासन की नींद तब टूटेगी जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा।
-लकी गुप्ता