आदिवासियत से ही पृथ्वी व पर्यावरण की रक्षा संभव : डॉ करमा उरांव

सरना प्रकृति पर आधारित विश्व का सबसे पुराना धर्म है। विधिविधान से प्रकृति पूजा से ही पृथ्वी में संतुलन व खुशहाली है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 10:22 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 10:22 PM (IST)
आदिवासियत से ही पृथ्वी व पर्यावरण की रक्षा संभव : डॉ करमा उरांव
आदिवासियत से ही पृथ्वी व पर्यावरण की रक्षा संभव : डॉ करमा उरांव

जागरण संवाददाता, खूंटी : सरना प्रकृति पर आधारित विश्व का सबसे पुराना धर्म है। विधिविधान से प्रकृति पूजा से ही पृथ्वी में संतुलन व खुशहाली है। जैसे-जैसे प्रकृति पूजा पद्धति घटी, वैसे-वैसे दुनिया में अशांति व दुख-विपत्ति फैली है। उक्त बातें डा. करमा उरांव ने कहीं। राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के तत्वावधान में रविवार को खूंटी स्थित करम अखड़ा में आयोजित सरना धर्म प्रार्थना सभा सह सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब लोगों को प्रकृति पूजा पद्धति की ओर से फिर से लौटने की जरूरत है। आदिवासियत से ही पृथ्वी व पर्यावरण की रक्षा संभव है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार के भ्रम व अफवाहों पर विश्वास नहीं करते हुए जनगणना में सरना धर्म दर्ज करना है। डा. करमा उरांव ने कहा कि सभी अधिक से अधिक लोगों को सरना धर्म दर्ज करने की अपील करें। मौके पर दुर्गावती ओड़ेया ने कहा कि जैसे-जैसे सरना धर्म व संस्कृति से दूर होते गए, हमारी एकता व पारंपरिक शासन व्यवस्था कमजोर होती गई। जिसके कारण जल-जंगल-जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है। सरना, मसना, जतरा स्थल व पूजा स्थलों पर कब्जा किया जा रहा है। ऐसे में पारंपरिक रीति-रिवाज व धरोहरों को बचाने के लिए फिर से सभी को एकजुट होने की जरूरत हैं।

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राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलेगा प्रतिनिधिमंडल

जनगणना परिपत्र में सरना धर्मकोड़ का कालम शामिल करवाने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, आदिवासी मामले के मंत्री, रजिस्टार जेनरल सेंसस से मिलकर स्मार पत्र सौंपा जाएगा। एक प्रतिनिधिमंडल सभी से भेंटवार्ता कर सरना धर्म कोड के लिए पहल करने का आग्रह करेगी। इसकी जानकारी देते हुए मथुरा कंडीर ने कहा कि इसके लिए दिल्ली में छह व सात दिसंबर को गांधी पीस सभागार, नई दिल्ली में अंतरराज्यीय प्रतिनिधि सभा और जंतर मंतर में सत्याग्रह सह धरना दिया जाएगा। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कार्यक्रम में खूंटी के अलावा गुमला, रांची, पश्चिम सिंहभूम, सिमडेगा व पूर्वी सिंहभूम के लोग शामिल हुए। इनमें महादेव मुंडा, जितना मुंडा, राम सिंह मुंडा, मोहन सिंह नाग, सुखराम मुंडा, राम मुंडा, रवि तिग्गा, नारायण उरांव, बलकु उरांव, बिरसा कंडीर, मसीह गुड़िया, मथुरा कंडीर, सोमा मुंडा समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग शामिल थे

सुख शांति व समृद्धि के लिए की पूजा

राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के तत्वावधान में रविवार को आयोजित सरना धर्म प्रार्थना सभा सह सम्मेलन के पूर्व धर्मगुरु दुर्गावती ओड़ेया, धर्मगुरु सोमा कंडीर, धर्मगुरु बगरय ओड़ेया व धर्मगुरु बलराम ओड़ेया की अगुवाई में सरनास्थल में सिडबोंगा की पूजा-पाठ कर सुख, शांति व समृद्धि की कामना की गई। सम्मेलन का आयोजन सरना धर्म समन्वय समिति, खूंटी, सांगा पड़हा महासभा खूंटी, सरना संगोम समिति खूंटी, सरना धर्म सोतो समिति डौगड़ा, मुरहू व युवा सरना समिति तपकरा के सहयोग से किया गया था।

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