उद्योग के मामले में खूंटी फिसड्डी, बेकार हो रहे हाथ

खूंटी उद्योग धंधों के मामले में खूंटी जिला फिसड्डी है। हाल के वर्षों में लोगों को रोजगार देने वाली कोई औद्योगिक इकाइयों का विकास नहीं किया गया है। जबकि लाह की कई बड़ी-बड़ी कंपनियां

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 01:56 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 06:34 AM (IST)
उद्योग के मामले में खूंटी फिसड्डी, बेकार हो रहे हाथ
उद्योग के मामले में खूंटी फिसड्डी, बेकार हो रहे हाथ

जागरण संवाददाता, खूंटी : उद्योग धंधों के मामले में खूंटी जिला फिसड्डी है। हाल के वर्षों में लोगों को रोजगार देने वाली कोई औद्योगिक इकाइयों का विकास नहीं किया गया है। जबकि लाह की कई बड़ी-बड़ी कंपनियां बंद हो चुकी हैं। रोजगार के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 50 हजार लोग पलायन कर जाते हैं। खेती के अलावा रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं।

जिले में लाह का उत्पादन अच्छा होता है। इस पर आधारित कई फैक्ट्रियां चल रही थीं। एक के बाद एक कर कंपनियां बंद होती गईं। युवाओं के हाथ बेकार होने लगे। फिर शुरू हुआ पलायन का सिलसिला। अच्छु राम केलकॉफ कंपनी जर्मनी के कोलेबरेशन से चल रही थी। 800 कर्मचारी दिन-रात काम करते थे। लेकिन, 1997 में यह बंद हो गई। कर्मचारी सड़क पर आ गए। ब‌र्द्धन ब्रदर्स एवं कनोडिया ओवरसीज कंपनी भी बंद हो गई। इससे एक हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। एस्सार इन कॉरपोरेशन नामक कंपनी भी बंद हो गई। इस प्रकार कंपनियां तो बंद होती गईं। उसकी जगह नई कंपनियां नहीं लगाई गईं। इन कंपनियों के बंद होने के पीछे कई कारण रहे। कुछ सरकार की गलत नीतियों का शिकार हुईं तो कुछ को उग्रवादियों के खौफ के कारण अपना धंदा समेटना पड़ा लेकिन इसकी जड़ में भी परोक्ष रूप से सरकार की विफलता कही जाएगी।

क्षेत्र में लाह का उत्पादन अच्छा खासा होता है। अभी यहां से लाह बलरामपुर (पश्चिम बंगाल) भेजा जाता है। यदि यहां लोह उत्पादल का बड़े पैमाने पर प्लांट लगा दिया जाए तो यहां के बेरोजगारों को काम मिल सकता है। यहां की भोली-भाली जनता जात-पांत की राजनीति में ही उलझी रही और नेताओं ने भी छिनते रोजदार को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया। अब यहां कुछ ही लाह फैक्ट्रियां रुक-रुककर चल रही हैं। हुनरमंद कमर्चारी भी दिहाड़ी मजदूर बनकर दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं।

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जिले में उद्योग के क्षेत्र में संभावनाएं

खूंटी जिले में लाह, लकड़ी एवं बांस आधारित उद्योगों का विकास किया जा सकता है। जिले में तीनों की बहुतायत है। लोगों में हुनर भी है। लोगों को प्रशिक्षित कर एवं पूंजी देकर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़वा दिया जा सकता है। यहां धान की भी अच्छी फसल होती है। लेकिन राइस मिल रांची में है। यहां के ककिसानों से बिचौलिए औने-पौने भाव में धान खरीदकर रांची ले जाते हैं। यहां के लोगों को न तो धान का उचित मूल्य मिल पाता है और न ही रोजदार।

:::::::::::: फूड एवं वनोत्पाद के क्षेत्र में छोटे-छोटे उद्योग लगाकर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। युवाओं को प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाने की जरूरत है। साथ ही बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए फैक्ट्रियां लगाने की आवश्यकता है।

- पंचू महतो, प्राचार्य, आइडियल हाईस्कूल, खूंटी।

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सरकार को चितन करना होगा कि यहां के युवाओं को कैसे रोजगार मिल सके। कंपनियों के बंद होने के कारणों की पड़ताल जरूरी है। सरकार को छोटे उद्योगों को संरक्षित करना चाहिए। साथ ही लोगों में स्किल डेवलप कर उन्हें रोजगार से जोड़ना चाहिए।

-प्रभाषचंद जायसवाल, प्रो. इंडियन शेलैक इंडस्ट्री, खूंटी।

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औद्योगिक इकाइयां बंद होने से जिले में व्यवसाय पर भी असर पड़ा है। लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की राह पकड़ रहे हैं। साथ ही बेरोजगारी एवं गरीबी के कारण उनकी क्रय क्षमता भी काफी कम हो जाती है। इस पर चितन करने की जरूरत है।

ताज अंसारी, व्यवसायी।

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