नौ धान अधिप्राप्ति केंद्रों में आठ बंद, बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर किसान

बदहाल किसानों की दशा व दिशा को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है। दिल्ली के बार्डर में बैठे किसानों के गम में आंसू बहा रहे नेताओं को तनिक राज्य के किसानों का भी फिक्र करना चाहिए। खूंटी जिले के कई धान क्रय केंद्र पिछले 15 दिनों से बंद पड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 06:41 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 06:41 PM (IST)
नौ धान अधिप्राप्ति केंद्रों में आठ बंद, बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर किसान
नौ धान अधिप्राप्ति केंद्रों में आठ बंद, बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर किसान

खूंटी : बदहाल किसानों की दशा व दिशा को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है। दिल्ली के बार्डर में बैठे किसानों के गम में आंसू बहा रहे नेताओं को तनिक राज्य के किसानों का भी फिक्र करना चाहिए। खूंटी जिले के कई धान क्रय केंद्र पिछले 15 दिनों से बंद पड़े हैं। गोदाम धान की बोरियों से भरे पड़े हैं। किसान धान नहीं बेच पाने से परेशान है। मजबूरन किसानों को व्यवसायियों के हाथों औने-पौने दामों में मेहनत से उपजाए धान को बेचना पड़ रहा है। जिले में किसानों से सरकारी समर्थन मूल्य पर धान अधिप्राप्ति के लिए कुल नौ क्रय केंद्र खोला गया है। इनमें से फिलहाल आठ बंद पड़े हैं। कारण गोदाम धान से भरे हुए हैं। धान रखने के लिए जगह नहीं रहने के कारण अभी धान की खरीदारी बंद है। सरकारी क्रय केंद्रों में धान की खरीदारी बंद हो जाने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति से लाचार किसान अपने पसीने की उपज को बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय स्थित खूंटी लैम्पस सहित तोरपा, मुरहू, कर्रा, रनिया, अड़की, गोविदपुर और अंबापखना के सरकारी धान क्रय केंद्रों का गोदाम खरीदे गए धान से भर गया है। इन गोदामों में धान रखने की जगह बची नहीं है। यही कारण है कि इन केंद्रों में धान की खरीदारी बंद कर दी गई है। वर्तमान में सिर्फ सरगेया क्रय केंद्र में धान की खरीदारी की जा रही है।

बताया जा रहा है कि जबतक खरीदे गए धान का उठाव नहीं हो जाता है, तबतक नए सिरे से धान की खरीदारी शुरू नहीं की जाएगी। इस संबंध में पड़ताल करने पर पता चला कि धान उठाव की प्रक्रिया सरल नहीं होने के कारण गोदामों से धान उठाव में देर हो रही है। इस वर्ष जिला में धान खरीदने के लिए 4162 किसानों ने अपना पंजीकरण कराया है। इनमें से अबतक मात्र 366 किसानों ने ही धान बेचा है।

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क्या कहते हैं किसान

किसानों का कहना है कि धान क्रय केंद्र केवल दिखाने के लिए है। छोटे किसान केंद्र के कभी अपना धान नहीं बेच पाते हैं। किसानों के नाम पर बिचौलिए ही केंद्र में धान बेच देते हैं।

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कई बार धान क्रय केंद्र जाने पर केंद्र बंद मिला। बंद गोदाम देखकर निराश होकर घर वापस आ जाते है। परिवार में आवश्यक कार्यो के लिए रुपयों की जरूरत थी। ऐसे में मजबूरन व्यवसायियों के पास धान बेचना पड़ा। व्यवसायी 13 रुपये प्रतिकिलों की दर से धान खरीदते हैं।

- सबल सिंह, किसान, धोबी सोसो, तोरपा

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पिछले बार जब हमने धान बेची तो कई दिनों के बाद पैसा मिला था। कई अन्य किसान ऐसे भी हैं, जिनको धान बेचने के बाद अबतक एसका मूल्य नहीं मिला। पैसे की जरूरत होती है, इसलिए धान को बाजार में जल्दी बेच देते है, जहां हाथोंहाथ पैसा मिल जाता है।

- बालेश्वर गोप, कोटेनगसेरा

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धान बेचने के लिए मोबाइल पर मैसेज आया था। धान लेकर कई बार क्रय केंद्र पर गए, केंद्र बंद मिला। बताया गया कि गोदाम धान से भरे पड़े हैं अब धान की खरीदारी नहीं हो रही है। ऐसे में वापसी के दौरान व्यवसायियों के हाथों 13 रुपये की दर से धान बेच दिए।

- नंदकिशोर महतो, टाटीटुरा टोली

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क्या कहते हैं पदाधिकारी

जिले में इस वर्ष नौ धान क्रय केंद्रों में 50 हजार क्विटल धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लक्ष्य के अनुरूप अब तक 366 किसानों से साढे़ 11 हजार क्विटल धान की खरीदारी की गई है, जो निर्धारित लक्ष्य का लगभग 23 प्रतिशत है। केंद्रों में धान बेचने वाले अधिकांश किसानों को धान बेचने के एक सप्ताह के अंदर मूल्य का पचार प्रतिशत राशि का भुगतान उनके बैंक एकाउंट में कर दिया गया है। शेष बचे राशि का भुगतान धान उठाओ होने के बाद किया जाएगा। जिला के गोदामों में भरे पड़े धान को उठवाने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही इन गोदामों से धान का उठाव कर लिया जाएगा। धान उठाव होने के बाद फिर से इन केंद्रों में धान की खरीदारी शुरू हो जाएगी।

- कनक, जिला आपूर्ति पदाधिकारी

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