Lifestyle : गर्भवती महिलाओं को करना चाहिए बस तीन योगासन, प्रसव में नहीं होगी असहनीय पीड़ा

Yoga Tips गर्भावस्था में काफी देखरेख की जरूरत होती है। इस दौरान भी आप रेगुलर योगा कर न सिर्फ खुद को बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु को स्वस्थ रख सकते हैं। योगा व रेकी एक्सपर्ट पूनम वर्मा बता रही हैं गर्भावस्था के दौरान कैसे करें योगा....

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 06:00 AM (IST)
Lifestyle : गर्भवती महिलाओं को करना चाहिए बस तीन योगासन, प्रसव में नहीं होगी असहनीय पीड़ा
गर्भवती महिलाओं को करना चाहिए बस तीन योगासन

जमशेदपुर, जासं। गर्भधारण करने के बाद महिला को कितनी खुशी होती है, इसका अनुमान सिर्फ वही लगा सकती है। गर्भावस्था के दिन जैसे-जैसे बढ़ने लगते हैं, वह अपने बच्चे के बारे में ही दिन-रात सोचती है, लेकिन अंतिम समय में वह प्रसव पीड़ा की कल्पना करके सिहर जाती है। हालांकि आजकल डाक्टर ज्यादातर सिजेरियन ऑपरेशन ही करते हैं, लेकिन यदि सामान्य प्रसव की नौबत आए तो गर्भवती असहनीय पीड़ा से काफी डर जाती है। ऐसे में हम यहां सिर्फ तीन योगासन के बारे में बता रहे हैं, जो प्रसव पीड़ा को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

योगा व रेकी एक्सपर्ट पूनम वर्मा।

ऐसा नहीं है कि योगासन के बाद वे डाक्टर के संपर्क ना रहें। यह तो आवश्यक ही है कि बच्चे का ग्रोथ सही तरीके से हो। इसके लिए नियमित जांच और डाक्टर की सलाह लेती रहें। जो भी चीज खाने या न खाने की सलाह मिले, उसे मानती रहें। हालांकि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को शरीर में ऐंठन, जोड़ों में दर्द, शरीर का सूजना या फूल जाना जैसी आम समस्या होती है, इसके लिए दवा आदि लेती रहें। इसके साथ ही ये योगासन करें।

पैर के दोनों तलवों को सटाकर जांघ का करें व्यायाम

पहला आसन पैर के दोनों तलवों को सटाकर करना है, जिसे बटरफ्लाई योगासन भी कहा जाता है। इसे नियमित करने से जांघ पर पड़ने वाले दबाव तो कम होते ही हैं, प्रजनन अंग को ताकत भी मिलती है। गर्भावस्था के दौरान यदि कै, वमन या उलटी होती हो, तो भी इससे आराम मिलता है। यह आसन बहुत आसान है। इसमें जमीन या बिस्तर पर बैठकर दोनों पैर को आगे की ओर फैलाना होता है। पीठ को सीधा रखें।

इसके बाद दोनों घुटनों को मोड़कर पैर के तलवों काे आपस में सटाना या मिलाना है। इसके लिए दोनों हाथ का सहारा लें। एड़ी को जननांग या प्रजनन अंग के पास रखने का प्रयास करें। इसके बाद दोनों पैर के घुटने को बैठे-बैठे ही ऊपर-नीचे हिलाएं। एक से दो मिनट तक इस आसन को करें और सांस सामान्य तरीके से लेती रहें। एक-दो दिन के बाद आपको खुद ब खुद आराम महसूस होगा।

पर्वत आसन

गर्भवती के लिए दूसरा प्रमुख आसन पर्वत आसन या माउंटेन पोज होता है। यह आपके पेट से नीचे के हिस्से को मजबूत बनाता ही है, मानसिक तनाव और पीठ में होने वाले दर्द से भी राहत देता है। यह योगासन गर्भधारण के दौरान किए गए भोजन को पचाने में भी लाभदायक साबित होता है।

 

इसमें दोनों पैर को एक-दूसरे पर चढ़ाते हुए बैठना भर होता है। ध्यान रहे, इसमें भी आपकी पीठ सीधी रहे। इसके बाद अपनी दोनों बांह को उठाते हुए अपनी हथेलियों को इस तरह से जोड़ें, जैसे किसी को नमस्कार या प्रणाम करती हैं। यथासंभव इस आसन को दो या तीन बार अवश्य दोहराएं।

टेढ़े होकर बैठने का अभ्यास

गर्भावस्था के दौरान महिला को पीठ के साथ कंधे और कमर में भी दर्द का अनुभव होता है। इससे छुटकारा पाने के लिए टेढ़े होकर बैठने का आसन फायदेमंद होता है, जिसे ट्विस्टेड पोज भी कहते हैं। यह पीठ में होने वाले संभावित खिंचाव, ऐंठन या जकड़न आदि को भी दूर करता है।

इसमें भी दोनों पैर को आगे की ओर फैलाकर सीधा बैठना होता है। इसके बाद लंबी सांस लेते हुए अपनी बाहों को कंधे की ओर ऊपर उठाएं। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को कमर से मोड़ते हुए दायीं ओर सिर और हाथों को एक साथ मोड़ने का प्रयास करें। शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन एक-दो दिन के बाद आप आसानी से कर लेंगी।

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