सूखने के कगार पर शहरपुरा तालाब
संवाद सहयोगी नारायणपुर (जामताड़ा) नारायणपुर के शहरपुरा का तालाब भले ही अभी नहीं सूख
संवाद सहयोगी, नारायणपुर (जामताड़ा) : नारायणपुर के शहरपुरा का तालाब भले ही अभी नहीं सूखा है पर अगले माह तक सूखने की आशंका से किसान चिंतित हैं। इस वर्ष पहली बार ऐसा होगा कि तालाब मई तक सूख जाएगा। अन्यथा पूर्व में थोड़ा-बहुत पानी इसमें रहता था जिससे ग्रामीणों को बहुत कम जलसंकट का सामना करना पड़ता था। इस बार इसे सूखने की वजह उपेक्षा व अनदेखी होगी। तालाब में अब तक बाहरी जल के प्रवेश का कोई माध्यम नहीं बना कर रखा गया है। तालाब में गाद की भी समस्या है जो इसके अस्तित्व पर भारी पड़ रहा है। तालाब की गहराई व सफाई की सुध दो वर्षों से कभी नहीं ली गई। ग्रामीण इस बात से चितित हैं कि इस बार तालाब सूख जाएगा तो जेठुआ फसल कैसे बचेगी और पशुओं की प्यास कैसे बुझेगी।
अभी तालाब में बचे थोड़ा पानी का ही उपयोग ग्रामीण कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि गर्मी बढ़ेगी तो जलस्तर कम होगा तथा पानी उपयोग के लायक भी नहीं रह जाएगा। वर्तमान समय में शहरपुरा में चार एकड़ भूभाग पर इसी तालाब के भरोसे जेठुवा की फसल है। इसमें कद्दू, झींगा, खीरा और भिडी किसानों ने लगाई है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां वर्षा का जल बहुत कम तालाब में प्रवेश कर पाता है। इस वजह से जलस्तर नहीं बढ़ पाता है। वर्तमान समय में यह तालाब में पानी तो है परंतु सूखने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
इस तालाब का उपयोग लोग स्नान करने, पूजा-पाठ, मछली पालन, पशुओं की प्यास बुझाने व सिचाई आदि कार्यों में करते थे। अगर तालाब सूख गया तो आसपास के कूप पर भी असर पड़ेगा। अभी ही क्षेत्र का जलस्तर नीचे जाने लगा है। इस वजह से कुआं व चापाकल भी पानी उगलना कम कर दिया है। तालाब में आसपास के पशु भी पानी पीने आते थे। तालाब सूखने पर इन्हें भी परेशानी होगी। समय-समय पर तालाब के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण की मांग की गई पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। । तीन वर्ष पूर्व डीवीसी की ओर से तालाब का जीर्णोद्धार करवाया गया था।
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यह तालाब काफी उपयोगी है। तालाब का जल कपड़े साफ करने, स्नान करने तथा पूजा-पाठ के लिए उपयोग में होता है। परंतु सरकारी उपेक्षा के कारण तालाब का अस्तित्व मिटने लगा है। इस वर्ष सबसे कम पानी रह गया है। लोग तो अपने लिए पानी की व्यवस्था कर लेंगे पर जानवर कहां जाएंगे।
---बजरंग कुमार ग्रामीण। --------------
अन्य स्थानों पर तो तालाब का जीर्णोद्धार किया गया पर दो वर्षों से इसकी सुध नहीं ली गई। पानी कमने लगा है। तालाब सूख जाएगा तो कुआं व चापाकल से भी पानी कम मिलने लगेगा। तब जलसंकट और बढ़ेगा। तालाब का संरक्षण जरूरी है। मौजूदा पानी सूखता जा रहा है। ---उदय कुमार, ग्रामीण।
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तालाब का जीर्णोद्धार जल्द नहीं हुआ तो अन्य तालाबों की ही भांति यह तालाब भी सूख जाएगा। रखरखाव के अभाव में तालाब का आकार सिमटता जा रहा है। तालाब की सफाई जरूरी है। वर्षा जल के बाहर से प्रवेश का उपाय भी करना होगा। तालाब को बचाने के लिए सामूहिक पहल जरूरी है।
धीरन यादव ग्रामीण।
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जल संरक्षण के लिए तालाब का जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकार को तालाब का गहरीकरण कर तालाब में जमा गाद हो निकालना चाहिए। डीवीसी ने दो वर्ष पूर्व सफाई की थी पर वह नाकाफी रही। तालाब का अस्तित्व नहीं रहेगा तो बड़ी आबादी प्रभावित होगी। तालाब को बचाने के लिए आम लोगों को भी आगे आना चाहिए। सिचाई के लिए जरूरी है।
दिलीप मंडल ग्रामीण।