पुस्तकालय की सार्थकता सिद्ध कर रहीं ग्रामीण बच्चियां

जामताड़ा अभी हाल तक जामताड़ा एक ऐसे जिला के रूप में शुमार किया जाता था जहां एक भी पुस्त

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 08:48 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 08:48 PM (IST)
पुस्तकालय की सार्थकता सिद्ध कर रहीं ग्रामीण बच्चियां
पुस्तकालय की सार्थकता सिद्ध कर रहीं ग्रामीण बच्चियां

जामताड़ा : अभी हाल तक जामताड़ा एक ऐसे जिला के रूप में शुमार किया जाता था जहां एक भी पुस्तकालय नहीं था। विभिन्न माध्यमों से लोग इसका मांग भी करते थे। बहरहाल स्थिति यह है कि शायद ही कोई ऐसा पंचायत है जहां सामुदायिक पुस्तकालय नहीं है। पुस्तकालय अधिष्ठापन करने की बुनियाद वर्तमान उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज ने की। यह कारवां शुरू होती है 13 नवंबर 2020 को। खूबसूरत सामुदायिक पुस्तकालय का रूप जामताड़ा प्रखंड अन्तर्गत चेंगाईडीह पंचायत में दिया गया। इस पुस्तकालय को और आधिक क्रियाशील बनाने के लिए उपायुक्त के प्रयास से इसे डिजिटल प्लेटफार्म से भी जोड़ दिया गया है।

-- लड़कियां भी अब पुस्तकालय जाकर पढ़तीं : जिले की लड़कियां भी अब किसी से कम नहीं हैं। उपायुक्त की पहल पर अधिष्ठापित सामुदायिक पुस्तकालय को लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन केंद्र बनते जा रहा है। इस बाबत उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पुस्तकालय में पढ़ने की मानसिकता छात्राओं को बहुत आगे लेकर जाएगी। उपायुक्त ने कहा कि जिस उद्देश्य से सामुदायिक पुस्तकालय का अधिष्ठापन किया गया वह अब पूरा होते दिख रहा है। उन्होंने कहा कि अमूमन देखा जा रहा है कि लड़कियां लड़कों से ज्यादा बढ़-चढ़कर सामुदायिक पुस्तकालय का उपयोग कर रही हैं जो एक खुशनुमा माहौल का संकेत है। लड़कियां जिस रूप से सामुदायिक पुस्तकालय का उपयोग कर रही हैं उससे समाज में एक अच्छा माहौल विकसित होगा।

उपायुक्त के दिशानिर्देश के आलोक में सामुदायिक पुस्तकालय में जिले के प्रशासनिक पदाधिकारी बुधवार को व पुलिस पदाधिकारी शनिवार को सहित अन्य दिनों में भी लगातार पढ़ाई लिखाई के अलावा समाजिक मुद्दे, साइबर क्राइम के मुद्दे, कोविड उचित व्यवहार सहित अन्य मुद्दों पर सामुदायिक पुस्तकालय में पढ़ाया जा रहा है।

उपायुक्त ने कहा कि जिस तरह से जिले के लड़कियों ने सामुदायिक पुस्तकालय में पढ़ने की मानसिकता विकसित की हैं उससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा। कहा कि शिक्षा जीवन जीने का एक अनिवार्य हिस्सा है चाहे वह लड़का हो या लड़की हो। महिला के अधिकारों की रक्षा में शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। यह लिग के आधार पर भेदभाव को रोकने में भी मदद करती है। शिक्षा महिलाओं को जीवन के मार्ग को चयन करने का अधिकार देने का पहला कदम है जिस पर वह आगे बढ़ती हैं। एक शिक्षित महिला में कौशल, सूचना, प्रतिभा और आत्मविश्वास होता है जो उसे एक बेहतर मां, कर्मचारी और देश का निवासी बनाती है। महिलाएं हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। पुरुष और महिलाएं एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, और उन्हें देश के विकास में योगदान करने के समान अवसर देने की आवश्यकता होती है।

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