राघवेंद्र नारायण सिंह 'राघव' को जनचेतना भागीरथ की उपाधि

जामताड़ा विश्व जनचेतना ट्रस्ट की ओर से 30 नवंबर को वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 06:56 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 06:56 PM (IST)
राघवेंद्र नारायण सिंह 'राघव' को जनचेतना भागीरथ की उपाधि
राघवेंद्र नारायण सिंह 'राघव' को जनचेतना भागीरथ की उपाधि

जामताड़ा : विश्व जनचेतना ट्रस्ट की ओर से 30 नवंबर को वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जामताड़ा के प्रसिद्ध कवि राघवेंद्र नारायण सिंह 'राघव' को जनचेतना भागीरथ की उपाधि से नवाजा गया। बनारस में आयोजित इस कवि सम्मेलन में राघव को झारखंड का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। यहां उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं और अनोखे संवाद की विधा से आयोजकों व श्रोताओं का दिल जीत लिया।

जामताड़ा के ग्रामीण परिवेश घांटीगढ़ गांव से ताल्लुक रखने वाले राघव अपनी रचनाओं में स्थानीय बोली को समावेशित करने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही समय-समय पर अपनी व्यंगात्मक रचनाओं के माध्यम से वे सरकारी सिस्टम और नौकरशाही की पोल खोलते रहते हैं।

विभिन्न अवसरों पर जामताड़ा जिला प्रशासन, शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय व अन्य संस्थाओं की ओर दर्जनों बार राघवेंद्र एक श्रेष्ठ कवि व साहित्यकार के रूप में सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले एनआरबी फाउंडेशन व भव्या इंटरनेशल मैत्री सम्मेलन के तत्वावधान में 11 अप्रैल 21 को जयपुर में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान साक्षरता, शिक्षा, साहित्य व समाजसेवा के क्षेत्र में इनके सराहनीय योगदान के लिए इन्हें रेड डायमंड एचीवर के अवार्ड से नवाजा गया था।

राष्ट्रीय कवि संगम जामताड़ा के जिलाध्यक्ष के रूप में, साहित्यकार परिषद् जामताड़ा के उपाध्यक्ष के रूप में व कानन कुसुम काव्योदय मंच के संस्थापक सदस्य व अध्यक्ष के रूप में उन्होंने साहित्यिक गतिविधियों को अलग आयाम दिया है।

उनकी हास्य-व्यंग्य से भरी रचनाओं में शुमार बेटा बुढ़वा पल्टी मार दिहीस, मैया मोरी मोहे चमचागिरी काहे न सिखायो, हाम तो नाय बांचबो गे धनी करेजबा लागलो चोट, वायु प्रवेशिका ..आदि ने खूब प्रसिद्धी बटोरी है। जबकि, पलाश, गुलर के फूल, काव्य मयूरी, विहंगिनी, बारूद की फसलें समेत कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं।

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